बुधवार, 14 अगस्त 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण सप्तम स्कन्ध – पंद्रहवाँ अध्याय..(पोस्ट०५)


॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
सप्तम स्कन्ध – पंद्रहवाँ अध्याय..(पोस्ट०५)

गृहस्थोंके लिये मोक्षधर्मका वर्णन

असङ्कल्पाज्जयेत्कामं क्रोधं कामविवर्जनात्
अर्थानर्थेक्षया लोभं भयं तत्त्वावमर्शनात् २२
आन्वीक्षिक्या शोकमोहौ दम्भं महदुपासया
योगान्तरायान्मौनेन हिंसां कामाद्यनीहया २३
कृपया भूतजं दुःखं दैवं जह्यात्समाधिना
आत्मजं योगवीर्येण निद्रां सत्त्वनिषेवया २४
रजस्तमश्च सत्त्वेन सत्त्वं चोपशमेन च
एतत्सर्वं गुरौ भक्त्या पुरुषो ह्यञ्जसा जयेत् २५
यस्य साक्षाद्भगवति ज्ञानदीपप्रदे गुरौ
मर्त्यासद्धीः श्रुतं तस्य सर्वं कुञ्जरशौचवत् २६
एष वै भगवान्साक्षात्प्रधानपुरुषेश्वरः
योगेश्वरैर्विमृग्याङ्घ्रिर्लोको यं मन्यते नरम् २७

धर्मराज ! संकल्पोंके परित्यागसे कामको, कामनाओंके त्यागसे क्रोधको, संसारी लोग जिसे अर्थकहते हैं उसे अनर्थ समझकर लोभको और तत्त्वके विचारसे भयको जीत लेना चाहिये ॥ २२ ॥ अध्यात्मविद्यासे शोक और मोहपर, संतोंकी उपासनासे दम्भपर, मौनके द्वारा योगके विघ्रोंपर और शरीर-प्राण आदिको निश्चेष्ट करके हिंसापर विजय प्राप्त करनी चाहिये ॥ २३ ॥ आधिभौतिक दु:खको दयाके द्वारा, आधिदैविक वेदनाको समाधिके द्वारा और आध्यात्मिक दु:खको योगबलसे एवं निद्राको सात्त्विक भोजन, सथान, सङ्ग आदिके सेवनसे जीत लेना चाहिये ॥ २४ ॥ सत्त्वगुणके द्वारा रजोगुण एवं तमोगुणपर और उपरतिके द्वारा सत्त्वगुणपर विजय प्राप्त करनी चाहिये। श्रीगुरुदेवकी भक्तिके द्वारा साधक इन सभी दोषोंपर सुगमतासे विजय प्राप्त कर सकता है ॥ २५ ॥ हृदयमें ज्ञानका दीपक जलानेवाले गुरुदेव साक्षात् भगवान्‌ ही हैं। जो दुर्बुद्धि पुरुष उन्हें मनुष्य समझता है, उसका समस्त शास्त्र-श्रवण हाथीके स्नानके समान व्यर्थ है ॥ २६ ॥ बड़े-बड़े योगेश्वर जिनके चरणकमलोंका अनुसन्धान करते रहते हैं, प्रकृति और पुरुषके अधीश्वर वे स्वयं भगवान्‌ ही गुरुदेवके रूपमें प्रकट हैं। इन्हें लोग भ्रमसे मनुष्य मानते हैं ॥ २७ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से




1 टिप्पणी:

  1. गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः
    🌺🌼🌹🥀 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-पांचवां अध्याय..(पोस्ट१०)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - पाँचवा अध्याय..(पोस्ट१०) विदुरजीका प्रश्न  और मैत्रेयजीका सृष्टिक्रमवर्णन विश...