॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – पहला
अध्याय..(पोस्ट०५)
मन्वन्तरोंका वर्णन
तृतीय उत्तमो नाम प्रियव्रतसुतो मनुः
पवनः सृञ्जयो यज्ञ होत्राद्यास्तत्सुता नृप ||२३||
वसिष्ठतनयाः सप्त ऋषयः प्रमदादयः
सत्या वेदश्रुता भद्रा देवा इन्द्रस्तु सत्यजित् ||२४||
धर्मस्य सूनृतायां तु भगवान्पुरुषोत्तमः
सत्यसेन इति ख्यातो जातः सत्यव्रतैः सह ||२५||
सोऽनृतव्रतदुःशीलानसतो यक्षराक्षसान्
भूतद्रुहो भूतगणांश्चावधीत्सत्यजित्सखः ||२६||
चतुर्थ उत्तमभ्राता मनुर्नाम्ना च तामसः
पृथुः ख्यातिर्नरः केतुरित्याद्या दश तत्सुताः ||२७||
सत्यका हरयो वीरा देवास्त्रिशिख ईश्वरः
ज्योतिर्धामादयः सप्त ऋषयस्तामसेऽन्तरे ||२८||
देवा वैधृतयो नाम विधृतेस्तनया नृप
नष्टाः कालेन यैर्वेदा विधृताः स्वेन तेजसा ||२९||
तत्रापि जज्ञे भगवान्हरिण्यां हरिमेधसः
हरिरित्याहृतो येन गजेन्द्रो मोचितो ग्रहात् ||३०||
तीसरे मनु थे उत्तम। वे प्रियव्रतके पुत्र थे। उनके
पुत्रोंके नाम थे—पवन,
सृञ्जय, यज्ञहोत्र आदि
॥ २३ ॥ उस मन्वन्तरमें वसिष्ठजीके प्रमद आदि सात पुत्र सप्तर्षि थे। सत्य, वेदश्रुत और भद्र नामक देवताओंके प्रधान गण थे और इन्द्रका
नाम था सत्यजित् ॥ २४ ॥ उस समय धर्मकी पत्नी सूनृताके गर्भसे पुरुषोत्तम भगवान्ने
सत्यसेनके नामसे अवतार ग्रहण किया था। उनके साथ सत्यव्रत नामके देवगण भी थे ॥ २५ ॥
उस समयके इन्द्र सत्यजित्के सखा बनकर भगवान्ने असत्यपरायण, दु:शील और दुष्ट यक्षों, राक्षसों एवं जीवद्रोही भूतगणोंका संहार किया ॥ २६ ॥
चौथे मनुका नाम था तामस। वे तीसरे मनु उत्तमके सगे भाई थे।
उनके पृथु,
ख्याति, नर, केतु इत्यादि दस पुत्र थे ॥ २७ ॥ सत्यक, हरि और वीर नामक देवताओंके प्रधान गण थे। इन्द्रका नाम था
त्रिशिख। उस मन्वन्तरमें ज्योतिर्धाम आदि सप्तर्षि थे ॥ २८ ॥ परीक्षित् ! उस तामस
नामके मन्वन्तरमें विधृतिके पुत्र वैधृति नामके और भी देवता हुए। उन्होंने समयके
फेरसे नष्टप्राय वेदोंको अपनी शक्तिसे बचाया था, इसीलिये ये ‘वैधृति’ कहलाये ॥ २९ ॥
इस मन्वन्तरमें हरिमेधा ऋषिकी पत्नी हरिणीके गर्भसे हरिके रूपमें भगवान्ने अवतार
ग्रहण किया। इसी अवतारमें उन्होंने ग्राहसे गजेन्द्रकी रक्षा की थी ॥ ३० ॥
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
Bhut badia hai Jo hame bhagwatmahapuran Facebook pr parane Ka Moka mila vo bhi Geeta press Gorakhpur wale hum dhany hue.jai Sri Krishan
जवाब देंहटाएंजय श्री हरि जय हो प्रभु जी जय
जवाब देंहटाएंजय श्रीराम हरि नारायण
जवाब देंहटाएं🌼🍂🌷जय श्री हरि: !!🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय