॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – तीसरा
अध्याय..(पोस्ट१३)
गजेन्द्र के द्वारा भगवान् की स्तुति और उसका संकट से
मुक्त होना
सोऽन्तःसरस्युरुबलेन गृहीत आर्तो
दृष्ट्वा गरुत्मति हरिं ख उपात्तचक्रम्
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उत्क्षिप्य साम्बुजकरं गिरमाह कृच्छ्रान्
नारायणाखिलगुरो भगवन्नमस्ते ||३२||
तं वीक्ष्य पीडितमजः सहसावतीर्य
सग्राहमाशु सरसः कृपयोज्जहार
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ग्राहाद्विपाटितमुखादरिणा गजेन्द्रं
संपश्यतां हरिरमूमुचदुच्छ्रियाणाम् ||३३||
सरोवरके भीतर बलवान् ग्राह ने गजेन्द्रको पकड़ रखा था और वह
अत्यन्त व्याकुल हो रहा था। जब उसने देखा कि आकाशमें गरुड़पर सवार होकर हाथमें
चक्र लिये भगवान् श्रीहरि आ रहे हैं, तब अपनी सूँड़ में कमल का एक सुन्दर पुष्प लेकर उसने ऊपरको उठाया और बड़े कष्ट
से बोला—‘नारायण ! जगद्गुरो ! भगवन् ! आपको नमस्कार है’ ॥ ३२ ॥ जब भगवान् ने देखा कि गजेन्द्र अत्यन्त पीडि़त हो
रहा है,
तब वे एकबारगी गरुड क़ो छोडक़र कूद पड़े और कृपा कर के
गजेन्द्र के साथ ही ग्राह को भी बड़ी शीघ्रता से सरोवर से बाहर निकाल लाये। फिर सब
देवताओं के सामने ही भगवान् श्रीहरि ने चक्र से ग्राह का मुँह फाड़ डाला और
गजेन्द्र को छुड़ा लिया ॥ ३३ ॥
इति श्रीमद्भागवते महापुराणे पारमहंस्यां
संहितायामष्टमस्कन्धे
गजेन्द्र मोक्षणे तृतीयोऽध्यायः
हरिः ॐ तत्सत् श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
जवाब देंहटाएंOm namo narayanay 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंनारायण नारायण नारायण नारायण
जवाब देंहटाएंहरि:शरणम् हरि:शरणम् हरि:शरणम्
💖🌹🌼जय श्री हरि: !!🙏🙏
बहुत देर से ये स्तुति याद आ रही थी , भगवान जरूर सुनते हैं वो साथ हैं । धन्यवाद मेरे भाई 🙏🏼
जवाब देंहटाएंॐ नमो नारायण 🙏🌹🌺🌹🙏
जवाब देंहटाएंOm namo bhagvate vasudevai!
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