॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – छठा अध्याय..(पोस्ट०७)
देवताओं और दैत्योंका मिलकर समुद्रमन्थन
के लिये उद्योग करना
श्रीभगवानुवाच
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हन्त
ब्रह्मन् अहो शम्भो हे देवा मम भाषितम् ।
श्रृणुतावहिताः
सर्वे श्रेयो वः स्याद् यथा सुराः ॥ १८ ॥
यात
दानवदैतेयैः तावत् सन्धिर्विधीयताम् ।
कालेनानुगृहीतैस्तैः
यावद् वो भव आत्मनः ॥ १९ ॥
अरयोऽपि
हि सन्धेयाः सति कार्यार्थगौरवे ।
अहिमूषिकवद्
देवा ह्यर्थस्य पदवीं गतैः ॥ २० ॥
अमृतोत्पादने
यत्नः क्रियतां अविलम्बितम् ।
यस्य
पीतस्य वै जन्तुः मृत्युग्रस्तोऽमरो भवेत् ॥ २१ ॥
क्षिप्त्वा
क्षीरोदधौ सर्वा वीरुत्तृणलतौषधीः ।
मन्थानं
मन्दरं कृत्वा नेत्रं कृत्वा तु वासुकिम् ॥ २२ ॥
सहायेन
मया देवा निर्मन्थध्वमतन्द्रिताः ।
क्लेशभाजो
भविष्यन्ति दैत्या यूयं फलग्रहाः ॥ २३ ॥
श्रीभगवान् ने कहा—ब्रह्मा,
शङ्कर और देवताओ ! तुमलोग सावधान होकर मेरी सलाह सुनो।
तुम्हारे कल्याण का यही उपाय है ॥ १८ ॥ इस समय असुरों पर कालकी कृपा है। इसलिये जब
तक तुम्हारे अभ्युदय और उन्नतिका समय नहीं आता, तबतक तुम दैत्य और दानवों के पास जाकर उनसे सन्धि कर लो ॥ १९ ॥ देवताओ ! कोई
बड़ा कार्य करना हो तो शत्रुओंसे भी मेल-मिलाप कर लेना चाहिये। यह बात अवश्य है कि
काम बन जानेपर उनके साथ साँप और चूहेवाला बर्ताव कर सकते हैं [*] ॥२०॥ तुमलोग बिना
विलम्बके अमृत निकालनेका प्रयत्न करो। उसे पी लेनेपर मरनेवाला प्राणी भी अमर हो
जाता है ॥ २१ ॥ पहले क्षीरसागरमें सब प्रकारके घास, तिनके,
लताएँ और ओषधियाँ डाल दो। फिर तुमलोग मन्दराचलकी मथानी और
वासुकि नागकी नेती बनाकर मेरी सहायतासे समुद्रका मन्थन करो। अब आलस्य और प्रमादका
समय नहीं है। देवताओ ! विश्वास रखो—दैत्योंको तो मिलेगा केवल श्रम और क्लेश, परंतु फल मिलेगा तुम्हीं लोगोंको ॥ २२-२३ ॥
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[*] किसी मदारी की पिटारी में साँप तो पहले से था ही, संयोगवश उसमें एक चूहा भी जा घुसा। चूहे के भयभीत होनेपर
साँपने उसे प्रेम से समझाया कि तुम पिटारी में छेद कर दो, फिर हम दोनों भाग निकलेंगे। पहले तो साँप की इस बातपर चूहे को
विश्वास न हुआ,
परंतु पीछे उसने पिटारी में छेद कर दिया। इस प्रकार काम बन जाने
पर साँप चूहे को निगल गया और पिटारी से निकल भागा।
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🙏
जवाब देंहटाएंजय श्री सीताराम जय हो प्रभु जय हो
जवाब देंहटाएं🌸🌿🌺जय श्री हरि: !!🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय
नारायण नारायण नारायण नारायण