॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – छठा अध्याय..(पोस्ट०९)
देवताओं और दैत्योंका मिलकर समुद्रमन्थन
के लिये उद्योग करना
श्रीशुक
उवाच -
इति
देवान् समादिश्य भगवान् पुरुषोत्तमः ।
तेषामन्तर्दधे
राजन् स्वच्छन्दगतिरीश्वरः ॥ २६ ॥
अथ
तस्मै भगवते नमस्कृत्य पितामहः ।
भवश्च
जग्मतुः स्वं स्वं धामोपेयुर्बलिं सुराः ॥ २७ ॥
दृष्ट्वा
अरीनप्यसंयत्तान् जातक्षोभान् स्वनायकान् ।
न्यषेधद्
दैत्यराट् श्लोक्यः सन्धिविग्रहकालवित् ॥ २८ ॥
ते
वैरोचनिमासीनं गुप्तं चासुरयूथपैः ।
श्रिया
परमया जुष्टं जिताशेषमुपागमन् ॥ २९ ॥
महेन्द्रः
श्लक्ष्णया वाचा सान्त्वयित्वा महामतिः ।
अभ्यभाषत
तत्सर्वं शिक्षितं पुरुषोत्तमात् ॥ ३० ॥
तदरोचत
दैत्यस्य तत्रान्ये येऽसुराधिपाः ।
शम्बरोऽरिष्टनेमिश्च
ये च त्रिपुरवासिनः ॥ ३१ ॥
ततो
देवासुराः कृत्वा संविदं कृतसौहृदाः ।
उद्यमं
परमं चक्रुः अमृतार्थे परंतप ॥ ३२ ॥
श्रीशुकदेवजी कहते हैं—परीक्षित् ! देवताओंको यह आदेश देकर पुरुषोत्तम भगवान् उनके बीचमें ही
अन्तर्धान हो गये। वे सर्वशक्तिमान् एवं परम स्वतन्त्र जो ठहरे। उनकी लीलाका रहस्य
कौन समझे ॥ २६ ॥ उनके चले जानेपर ब्रह्मा और शङ्करने फिरसे भगवान् को नमस्कार
किया और वे अपने-अपने लोकोंको चले गये, तदनन्तर इन्द्रादि देवता राजा बलिके पास गये ॥ २७ ॥ देवताओंको बिना
अस्त्र-शस्त्रके सामने आते देख दैत्यसेनापतियों के मनमें बड़ा क्षोभ हुआ। उन्होंने
देवताओंको पकड़ लेना चाहा। परंतु दैत्यराज बलि सन्धि और विरोधके अवसरको जाननेवाले
एवं पवित्र कीर्तिसे सम्पन्न थे। उन्होंने दैत्योंको वैसा करनेसे रोक दिया ॥ २८ ॥
इसके बाद देवतालोग बलिके पास पहुँचे। बलिने तीनों लोकोंको जीत लिया था। वे समस्त
सम्पत्तियोंसे सेवित एवं असुर-सेनापतियोंसे सुरक्षित होकर अपने राजसिंहासनपर बैठे
हुए थे ॥ २९ ॥ बुद्धिमान् इन्द्रने बड़ी मधुर वाणीसे समझाते हुए राजा बलिसे वे सब
बातें कहीं,
जिनकी शिक्षा स्वयं भगवान्ने उन्हें दी थी ॥ ३० ॥ वह बात
दैत्यराज बलिको जँच गयी। वहाँ बैठे हुए दूसरे सेनापति शम्बर, अरिष्टनेमि और त्रिपुरनिवासी असुरोंको भी यह बात बहुत अच्छी
लगी ॥ ३१ ॥ तब देवता और असुरोंने आपसमें सन्धि समझौता करके मित्रता कर ली और
परीक्षित् ! वे सब मिलकर अमृत मन्थनके लिये पूर्ण उद्योग करने लगे ॥ ३२ ॥
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
जय श्री राम
जवाब देंहटाएंOm namo narayanay 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएं🌹🌾🥀जय श्री हरि: !!🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय
नारायण नारायण नारायण नारायण