सोमवार, 9 सितंबर 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण अष्टम स्कन्ध – पाँचवाँ अध्याय..(पोस्ट१२)



॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – पाँचवाँ अध्याय..(पोस्ट१२)

देवताओं का ब्रह्माजी के पास जाना और
ब्रह्माकृत भगवान्‌ की स्तुति

लोभोऽधरात् प्रीतिरुपर्यभूद् द्युतिः
     नस्तः पशव्यः स्पर्शेन कामः ।
भ्रुवोर्यमः पक्ष्मभवस्तु कालः
     प्रसीदतां नः स महाविभूतिः ॥ ४२ ॥
द्रव्यं वयः कर्म गुणान्विशेषं
     यद्योगमायाविहितान्वदन्ति ।
यद्दुर्विभाव्यं प्रबुधापबाधं
     प्रसीदतां नः स महाविभूतिः ॥ ४३ ॥
नमोऽस्तु तस्मा उपशान्तशक्तये
     स्वाराज्यलाभप्रतिपूरितात्मने ।
गुणेषु मायारचितेषु वृत्तिभिः
     न सज्जमानाय नभस्वदूतये ॥ ४४ ॥

जिनके अधरसे लोभ और ओष्ठसे प्रीति, नासिकासे कान्ति, स्पर्शसे पशुओंका प्रिय काम, भौंहोंसे यम और नेत्रके रोमोंसे कालकी उत्पत्ति हुई हैवे परम ऐश्वर्यशाली भगवान्‌ हमपर प्रसन्न हों ॥ ४२ ॥ पञ्चभूत, काल, कर्म, सत्त्वादि गुण और जो कुछ विवेकी पुरुषोंके द्वारा बाधित किये जाने योग्य निर्वचनीय या अनिर्वचनीय विशेष पदार्थ हैं, वे सब-के-सब भगवान्‌की योगमायासे ही बने हैंऐसा शास्त्र कहते हैं। वे परम ऐश्वर्यशाली भगवान्‌ हम पर प्रसन्न हों ॥ ४३ ॥ जो मायानिर्मित गुणोंमें दर्शनादि वृत्तियोंके द्वारा आसक्त नहीं होते, जो वायु के समान सदा-सर्वदा असङ्ग रहते हैं, जिनमें समस्त शक्तियाँ शान्त हो गयी हैंउन अपने आत्मानन्द के लाभ से परिपूर्ण आत्मस्वरूप भगवान्‌ को हमारे नमस्कार हैं ॥ ४४ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से



5 टिप्‍पणियां:

  1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,🙏🌹🌺🙏

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  2. जय श्री सीताराम

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  3. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

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  4. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌺🌹🙏

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  5. 🌼🍂🌷जय श्री हरि: !!🙏🙏
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण नारायण नारायण

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