सोमवार, 9 सितंबर 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण अष्टम स्कन्ध – पाँचवाँ अध्याय..(पोस्ट११)




॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – पाँचवाँ अध्याय..(पोस्ट११)

देवताओं का ब्रह्माजी के पास जाना और
ब्रह्माकृत भगवान्‌ की स्तुति

बलान्महेन्द्रस्त्रिदशाः प्रसादान्
     मन्योर्गिरीशो धिषणाद्विरिञ्चः ।
खेभ्यस्तु छन्दांस्यृषयो मेढ्रतः कः
     प्रसीदतां नः स महाविभूतिः ॥ ३९ ॥
श्रीर्वक्षसः पितरश्छाययाऽऽसन्
     धर्मः स्तनादितरः पृष्ठतोऽभूत् ।
द्यौर्यस्य शीर्ष्णोऽप्सरसो विहारात्
     प्रसीदतां नः स महाविभूतिः ॥ ४० ॥
विप्रो मुखं ब्रह्म च यस्य गुह्यं
     राजन्य आसीद् भुजयोर्बलं च ।
ऊर्वोर्विडोजोङ्‌घ्रिरवेदशूद्रौ
     प्रसीदतां नः स महाविभूतिः ॥ ४१ ॥

जिनके बलसे इन्द्र, प्रसन्नतासे समस्त देवगण, क्रोधसे शङ्कर, बुद्धिसे ब्रह्मा, इन्द्रियोंसे वेद और ऋषि तथा लिङ्गसे प्रजापति उत्पन्न हुए हैंवे परम ऐश्वर्यशाली भगवान्‌ हमपर प्रसन्न हों ॥ ३९ ॥ जिनके वक्ष:स्थलसे लक्ष्मी, छायासे पितृगण, स्तनसे धर्म, पीठसे अधर्म, सिरसे आकाश और विहारसे अप्सराएँ प्रकट हुई हैं, वे परम ऐश्वर्यशाली भगवान्‌ हमपर प्रसन्न हों ॥ ४० ॥ जिनके मुखसे ब्राह्मण और अत्यन्त रहस्यमय वेद, भुजाओंसे क्षत्रिय और बल, जङ्घाओंसे वैश्य और उनकी वृत्तिव्यापारकुशलता तथा चरणोंसे वेदबाह्य शूद्र और उनकी सेवा आदि वृत्ति प्रकट हुई हैवे परम ऐश्वर्यशाली भगवान्‌ हमपर प्रसन्न हों ॥ ४१ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से



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