॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – तेरहवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)
आगामी सात मन्वन्तरोंका वर्णन
नवमो दक्षसावर्णिर्मनुर्वरुणसम्भवः
भूतकेतुर्दीप्तकेतुरित्याद्यास्तत्सुता नृप ॥ १८ ॥
पारा मरीचिगर्भाद्या देवा इन्द्रो ऽद्भुतः स्मृतः
द्युतिमत्प्रमुखास्तत्र भविष्यन्त्यृषयस्ततः ॥ १९ ॥
आयुष्मतोऽम्बुधारायामृषभो भगवत्कला
भविता येन संराद्धां त्रिलोकीं भोक्ष्यतेऽद्भुतः ॥ २० ॥
दशमो ब्रह्मसावर्णिरुपश्लोकसुतो मनुः
तत्सुता भूरिषेणाद्या हविष्मत्प्रमुखा द्विजाः ॥ २१ ॥
हविष्मान्सुकृतः सत्यो जयो मूर्तिस्तदा द्विजाः
सुवासनविरुद्धाद्या देवाः शम्भुः सुरेश्वरः ॥ २२ ॥
विष्वक्सेनो विषूच्यां तु शम्भोः सख्यं करिष्यति
जातः स्वांशेन भगवान्गृहे विश्वसृजो विभुः ॥ २३ ॥
परीक्षित् ! वरुण के पुत्र दक्षसावर्णि नवें मनु होंगे।
भूतकेतु,
दीप्तकेतु आदि उनके पुत्र होंगे ॥ १८ ॥ पार, मरीचिगर्भ आदि देवताओंके गण होंगे और अद्भुत नामके इन्द्र
होंगे। उस मन्वन्तरमें द्युतिमान् आदि सप्तर्षि होंगे ॥ १९ ॥ आयुष्मान् की पत्नी
अम्बुधाराके गर्भ से ऋषभके रूपमें भगवान्का कलावतार होगा। अद्भुत नामक इन्द्र
उन्हींकी दी हुई त्रिलोकीका उपभोग करेंगे ॥ २० ॥
दसवें मनु होंगे उपश्लोकके पुत्र ब्रह्मसावर्णि। उनमें
समस्त सद्गुण निवास करेंगे। भूरिषेण आदि उनके पुत्र होंगे और हविष्मान्, सुकृति, सत्य, जय,
मूर्ति आदि सप्तर्षि। सुवासन, विरुद्ध आदि देवताओंके गण होंगे और इन्द्र होंगे शम्भु ॥ २१-२२ ॥ विश्वसृज्की
पत्नी विषूचिके गर्भसे भगवान् विष्वक्सेन के रूप में अंशावतार ग्रहण करके शम्भु
नामक इन्द्रसे मित्रता करेंगे ॥ २३ ॥
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
Jay shree Krishna
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जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय
जवाब देंहटाएंOm namo narayanay 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएं🌹🎋💐जय श्री हरि: 🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमो नारायण