ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – अठारहवाँ अध्याय..(पोस्ट०६)
वामन भगवान् का प्रकट होकर
राजा बलि की यज्ञशाला में पधारना
इत्थं
सशिष्येषु भृगुष्वनेकधा
वितर्क्यमाणो
भगवान्स वामनः
छत्रं
सदण्डं सजलं कमण्डलुं
विवेश
बिभ्रद्धयमेधवाटम् ॥ २३ ॥
मौञ्ज्या
मेखलया वीतमुपवीताजिनोत्तरम्
जटिलं
वामनं विप्रं मायामाणवकं हरिम् ॥ २४ ॥
प्रविष्टं
वीक्ष्य भृगवः सशिष्यास्ते सहाग्निभिः
प्रत्यगृह्णन्समुत्थाय
सङ्क्षिप्तास्तस्य तेजसा ॥ २५ ॥
यजमानः
प्रमुदितो दर्शनीयं मनोरमम्
रूपानुरूपावयवं
तस्मा आसनमाहरत् ॥ २६ ॥
स्वागतेनाभिनन्द्याथ
पादौ भगवतो बलिः
अवनिज्यार्चयामास
मुक्तसङ्गमनोरमम् ॥ २७ ॥
तत्पादशौचं
जनकल्मषापहं
स
धर्मविन्मूर्ध्न्यदधात्सुमङ्गलम्
यद्देवदेवो
गिरिशश्चन्द्र मौलि-
र्दधार
मूर्ध्ना परया च भक्त्या ॥ २८ ॥
भृगुके पुत्र शुक्राचार्य आदि अपने शिष्यों के साथ इसी
प्रकार अनेकों कल्पनाएँ कर रहे थे। उसी समय हाथ में छत्र, दण्ड और जलसे भरा कमण्डलु लिये हुए वामन भगवान् ने अश्वमेध
यज्ञके मण्डप में प्रवेश किया ॥ २३ ॥ वे कमर में मूँज की मेखला और गले में
यज्ञोपवीत धारण किये हुए थे। बगलमें मृगचर्म था और सिरपर जटा थी। इसी प्रकार बौने
ब्राह्मण के वेष में अपनी मायासे ब्रह्मचारी बने हुए भगवान् ने जब उनके
यज्ञमण्डपमें प्रवेश किया,
तब भृगुवंशी ब्राह्मण उन्हें देखकर अपने शिष्योंके साथ उनके
तेजसे प्रभावित एवं निष्प्रभ हो गये। वे सब-के-सब अग्नियों के साथ उठ खड़े हुए और
उन्होंने वामन भगवान् का स्वागत-सत्कार किया ॥ २४-२५ ॥ भगवान् के लघुरूप के
अनुरूप सारे अङ्ग छोटे-छोटे बड़े ही मनोरम एवं दर्शनीय थे। उन्हें देखकर बलिको
बड़ा आनन्द हुआ और उन्होंने वामनभगवान् को एक उत्तम आसन दिया ॥ २६ ॥ फिर
स्वागत-वाणीसे उनका अभिनन्दन करके पाँव पखारे और सङ्गरहित महापुरुषोंको भी अत्यन्त
मनोहर लगनेवाले वामन भगवान् की पूजा की ॥ २७ ॥ भगवान् के चरणकमलों का धोवन परम
मङ्गलमय है। उससे जीवोंके सारे पाप-ताप धुल जाते हैं। स्वयं देवाधिदेव चन्द्रमौलि
भगवान् शङ्करने अत्यन्त भक्तिभावसे उसे अपने सिरपर धारण किया था। आज वही चरणामृत
धर्म के मर्मज्ञ राजा बलिको प्राप्त हुआ। उन्होंने बड़े प्रेमसे उसे अपने मस्तकपर
रखा ॥ २८ ॥
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
Jay shree Krishna
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय
जवाब देंहटाएंजय श्री सीताराम जय हो प्रभु जय हो
जवाब देंहटाएं🌸💖🌾जय श्री हरि: 🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय
नारायण नारायण नारायण नारायण
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌹🌺🙏
जवाब देंहटाएं🌷नमो नारायणाय🌷
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