रविवार, 27 अक्तूबर 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण अष्टम स्कन्ध – अठारहवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)


ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – अठारहवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)

वामन भगवान्‌ का प्रकट होकर
राजा बलि की यज्ञशाला में पधारना

तं वटुं वामनं दृष्ट्वा मोदमाना महर्षयः
कर्माणि कारयामासुः पुरस्कृत्य प्रजापतिम् ॥ १३ ॥
तस्योपनीयमानस्य सावित्रीं सविताब्रवीत्
बृहस्पतिर्ब्रह्मसूत्रं मेखलां कश्यपोऽददात् ॥ १४ ॥
ददौ कृष्णाजिनं भूमिर्दण्डं सोमो वनस्पतिः
कौपीनाच्छादनं माता द्यौश्छत्रं जगतः पतेः ॥ १५ ॥
कमण्डलुं वेदगर्भः कुशान्सप्तर्षयो ददुः
अक्षमालां महाराज सरस्वत्यव्ययात्मनः ॥ १६ ॥
तस्मा इत्युपनीताय यक्षराट्पात्रिकामदात्
भिक्षां भगवती साक्षादुमादादम्बिका सती ॥ १७ ॥
स ब्रह्मवर्चसेनैवं सभां सम्भावितो वटुः
ब्रह्मर्षिगणसञ्जुष्टामत्यरोचत मारिषः ॥ १८ ॥
समिद्धमाहितं वह्निं कृत्वा परिसमूहनम्
परिस्तीर्य समभ्यर्च्य समिद्भिरजुहोद्द्विजः ॥ १९ ॥

भगवान्‌ को वामन ब्रह्मचारीके रूपमें देखकर महर्षियोंको बड़ा आनन्द हुआ। उन लोगोंने कश्यप प्रजापतिको आगे करके उनके जातकर्म आदि संस्कार करवाये ॥ १३ ॥ जब उनका उपनयन-संस्कार होने लगा, तब गायत्रीके अधिष्ठातृ-देवता स्वयं सविताने उन्हें गायत्रीका उपदेश किया। देवगुरु बृहस्पतिजीने यज्ञोपवीत और कश्यपने मेखला दी ॥ १४ ॥ पृथ्वीने कृष्णमृगका चर्म, वनके स्वामी चन्द्रमाने दण्ड, माता अदितिने कौपीन और कटिवस्त्र एवं आकाशके अभिमानी देवताने वामन-वेषधारी भगवान्‌को छत्र दिया ॥ १५ ॥ परीक्षित्‌ ! अविनाशी प्रभुको ब्रह्माजीने कमण्डलु, सप्तर्षियोंने कुश और सरस्वतीने रुद्राक्षकी माला समर्पित की ॥ १६ ॥ इस रीतिसे जब वामनभगवान्‌का उपनयन-संस्कार हुआ, तब यक्षराज कुबेरने उनको भिक्षाका पात्र और सतीशिरो- मणि जगज्जननी स्वयं भगवती उमाने भिक्षा दी ॥ १७ ॥ इस प्रकार जब सब लोगोंने वटुवेष-धारी भगवान्‌का सम्मान किया, तब वे ब्रहमर्षियोंसे भरी हुई सभामें अपने ब्रह्मतेजके कारण अत्यन्त शोभायमान हुए ॥ १८ ॥ इसके बाद भगवान्‌ने स्थापित और प्रज्वलित अग्रिका कुशोंसे परिसमूहन और परिस्तरण करके पूजा की और समिधाओंसे हवन किया ॥ १९ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से





6 टिप्‍पणियां:

  1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌺🌹🙏

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  2. जय श्री सीताराम

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  3. 🌷🥀🍂जय श्री हरि: 🙏🙏
    हे मेरे नारायण आपके वामन अवतार को सहस्त्रों सहस्त्रों कोटिश: वंदन
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

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  4. 🌷नमो नारायणाय🌷

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