॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – दसवाँ अध्याय..(पोस्ट०६)
देवासुर-संग्राम
बलिर्महेन्द्रं दशभिस्त्रिभिरैरावतं शरैः
चतुर्भिश्चतुरो वाहानेकेनारोहमार्च्छयत् ॥ ४१ ॥
स तानापततः शक्रस्तावद्भिः शीघ्रविक्रमः
चिच्छेद निशितैर्भल्लैरसम्प्राप्तान्हसन्निव ॥ ४२ ॥
तस्य कर्मोत्तमं वीक्ष्य दुर्मर्षः शक्तिमाददे
तां ज्वलन्तीं महोल्काभां हस्तस्थामच्छिनद्धरिः ॥ ४३ ॥
ततः शूलं ततः प्रासं ततस्तोमरमृष्टयः
यद्यच्छस्त्रं समादद्यात्सर्वं तदच्छिनद्विभुः ॥ ४४ ॥
राजा बलि ने दस बाण इन्द्रपर, तीन उनके वाहन ऐरावतपर,
चार ऐरावत के चार चरण-रक्षकों पर और एक मुख्य महावत पर—इस प्रकार कुल अठारह बाण छोड़े ॥ ४१ ॥ इन्द्र ने देखा कि
बलि के बाण तो हमें घायल करना ही चाहते हैं। तब उन्होंने बड़ी फुर्ती से उतने ही
तीखे भल्ल नामक बाणों से उनको वहाँ तक पहुँचने के पहले ही हँसते-हँसते काट डाला ॥
४२ ॥ इन्द्र की यह प्रशंसनीय फुर्ती देखकर राजा बलि और भी चिढ़ गये। उन्होंने एक
बहुत बड़ी शक्ति जो बड़े भारी लूके के समान जल रही थी, उठायी। किन्तु अभी वह उनके हाथमें ही थी—छूटने नहीं पायी थी कि इन्द्र ने उसे भी काट डाला ॥ ४३ ॥
इसके बाद बलि ने एक के पीछे एक क्रमश: शूल, प्रास,
तोमर और शक्ति उठायी। परंतु वे जो-जो शस्त्र हाथ में उठाते, इन्द्र उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर डालते। इस हस्तलाघव से
इन्द्रका ऐश्वर्य और भी चमक उठा ॥ ४४ ॥
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
Jai shree krishna
जवाब देंहटाएंJay shree Krishna
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌺🌹🙏
जवाब देंहटाएंOm namo bhagawate vasudevay 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंJai shree Ram
जवाब देंहटाएंजय श्री सीताराम जय हो प्रभु जय हो
जवाब देंहटाएं🌷🍂💐जय श्री हरि: 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंनारायण नारायण नारायण नारायण
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय