रविवार, 29 दिसंबर 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण नवम स्कन्ध –पंद्रहवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)


॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥



श्रीमद्भागवतमहापुराण

नवम स्कन्ध पंद्रहवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)



ऋचीक, जमदग्नि और परशुरामजी का चरित्र


श्रीशुक उवाच ।

ऐलस्य च उर्वशीगर्भात् षडासन्नात्मजा नृप ।

आयुः श्रुतायुः सत्यायू रयोऽथ विजयो जयः ॥ १ ॥

श्रुतायोर्वसुमान्पुत्रः सत्यायोश्च श्रुतञ्जयः ।

रयस्य सुत एकश्च जयस्य तनयोऽमितः ॥ २ ॥

भीमस्तु विजयस्याथ काञ्चनो होत्रकस्ततः ।

तस्य जह्नुः सुतो गंगां गण्डूषीकृत्य योऽपिबत् ।

जह्नोस्तु पूरुस्तस्याथ बलाकश्चात्मजोऽजकः ॥ ३ ॥

ततः कुशः कुशस्यापि कुशाम्बुस्तनयो वसुः ।

कुशनाभश्च चत्वारो गाधिरासीत् कुशाम्बुजः ॥ ४ ॥


श्रीशुकदेव जी कहते हैंपरीक्षित्‌ ! उर्वशी के गर्भ से पुरूरवा के छ: पुत्र हुएआयु, श्रुतायु, सत्यायु, रय, विजय और जय ॥ १ ॥ श्रुतायु का पुत्र था वसुमान्, सत्यायु का श्रुतञ्जय, रयका एक और जयका अमित ॥ २ ॥ विजयका भीम, भीमका काञ्चन, काञ्चनका होत्र और होत्रका पुत्र था जह्नु। ये जह्नु वही थे, जो गङ्गाजी को अपनी अञ्जलि में लेकर पी गये थे। जह्नु का पुत्र था पूरु, पूरु का बलाक और बलाक का अजक ॥ ३ ॥ अजक का कुश था। कुश के चार पुत्र थेकुशाम्बु, तनय, वसु और कुशनाभ। इनमें से कुशाम्बु के पुत्र गाधि हुए ॥ ४ ॥



शेष आगामी पोस्ट में --

गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


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