बुधवार, 1 फ़रवरी 2023

रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि

जय सियाराम जय जय सियाराम ! 

जिस तरह पतिव्रता पत्नी अपने पति को ही प्रियतम समझती और चाहती है, ठीक इसी तरह बुद्धि, शक्ति, भक्ति, कांति, सिद्धि आदि श्रीराम-चरण की अभिवंदना करने वाले सर्वोत्कृष्ट  श्री हनुमान जी की, अपने प्रिय के समान कामना करती हैं | श्री हनुमान जी की महत्ता बतलाते हुए कहा गया है –

“ मरुत्सुतं  रामपदारविंदवन्दारुवृन्दारकमाशु  वन्दे |
धी:शक्तिभक्तिद्युतिसिद्धयो यं कान्तं स्वकान्ता इव कामयन्ते ||”  

 .. ..(रामचरिताब्धिरत्न  १|७)

श्री हनुमानजी भगवान् के प्रिय हैं, यह उनकी सबसे बड़ी विशेषता है | इनकी महिमा के सम्बन्ध में भक्त-कवि  रहीम खानखाना की प्रशस्ति है कि पवननंदन श्रीहनुमान विपत्तियों को विदीर्ण कर देते हैं तथा दुष्टों और दानवों के समूहरूपी वन को जलाकर, भक्तजनों को अभय प्रदान करते हैं—

“ध्यावहुँ विपद-बिदारन  सुवन-समीर |
खल-दानव-बन-जारन प्रिय रघुबीर ||”

    ....(रहीम-रत्नावली, बरवै ५)

{गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित- कल्याण श्रीहनुमान अंक}


1 टिप्पणी:

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - इक्कीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - इक्कीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०१) कर्दमजी की तपस्या और भगवान्‌ का वरदान विदुर उवाच ...