गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नम:



जिनके हृदय में एकमात्र श्रीहरि की भक्ति निवास करती है; वे त्रिलोकी में अत्यन्त निर्धन होने पर भी परम धन्य हैं; क्योंकि इस भक्ति की डोरी से बँधकर तो साक्षात् भगवान्‌ भी अपना परमधाम छोडक़र उनके हृदयमें आकर बस जाते हैं ॥ 

“सकलभुवनमध्ये निर्धनास्तेऽपि धन्या
     निवसति हृदि येषां श्रीहरेर्भक्तिरेका ।
हरिरपि निजलोकं सर्वथातो विहाय
     प्रविशति हृदि तेषां भक्तिसूत्रोपनद्धः ॥“

...... (श्रीमद्भागवतमाहात्म्य ०३/७३)


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