हनुमान जी का सिद्धांत है कि जीव चाहे लेटा हो या बैठा हो अथवा खडा ही क्यों न हो, जिस किसी भी दशा में श्रीराम नाम का स्मरण करके वह भगवान् के परमपद को प्राप्त हो जाता है |
“आसीनो वा शयानो वा तिष्ठन् वा यत्र कुत्र वा |
इस ब्लॉग का ध्येय, सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति का प्रसार करना तथा सन्तों के दुर्लभ प्रवचनों को जन-जन तक पहुंचाने का है | हम केवल धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों पर प्रामाणिक जानकारियों को ही प्रकाशित करते हैं। आत्मकल्याण तथा दुर्लभ-सत्संग हेतु हमसे जुड़ें और अपने सभी परिवारजनों और मित्रों को इसके लाभ की बात बताकर सबको जोड़ने का प्रयास करें | भगवान् में लगना और दूसरों को लगाना ‘परम-सेवा’ है | अतः इसका लाभ उठाना चाहिए |
॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - पाँचवा अध्याय..(पोस्ट०९) विदुरजीका प्रश्न और मैत्रेयजीका सृष्टिक्रमवर्णन देव...
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