यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं,
तत्र तत्र कृतमस्तकांजलिम् |
वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं,
मारुतिम् नमत राक्षसान्तकम् ||
( जहां भगवान श्रीराम (रघुनाथ ) की स्तुति या संकीर्तन होता है, वहां राक्षसों का संहार करनेवाले श्री हनुमान, शरणागत मस्तक, श्रीराम के सम्मुख अपने हस्त कमल को जोड़कर और नेत्रोंमें भावपूर्ण आनंद के अश्रुओं के साथ उपस्थित रहते हैं , ऐसे श्रीहनुमान जी को हमारा बारम्बार प्रणाम !!!!)
जय श्री राम,जय बजरंग बली
जवाब देंहटाएंजय श्री राम
जवाब देंहटाएंजय हो श्री राम भक्त हनुमानजी महाराज की 🙏🌹🙏🌹
जवाब देंहटाएं🙏🌹🙏
जवाब देंहटाएं🙏🌹🙏
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