शुक्रवार, 12 मई 2023

# श्रीहरि: #

“ नाहं वसामि वैकुंठे योगिनां हृदये न च | 
मद्भक्ता यत्र गायंति तत्र तिष्ठामि नारद ||”          ........( पद्मपुराण उ. १४/२३)

                                                                                                                                                                                           

 (  हे नारद ! मैं न तो बैकुंठ में ही रहता हूँ और न योगियों के हृदय में ही रहता हूँ । मैं तो वहीं रहता हूँ, जहाँ प्रेमाकुल होकर मेरे भक्त मेरे नाम का कीर्तन किया करते हैं  ।  मैं सर्वदा लोगों के अन्तःकरण में विद्यमान रहता हूं  )  | 

श्रद्धापूर्वक की गई प्रार्थना ही स्वीकार होती है । अतः भावना जितनी सच्ची, गहरी और पूर्ण होगी, उतना ही उसका सत्परिणाम होगा |


2 टिप्‍पणियां:

  1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🙏

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  2. नारायण नारायण नारायण नारायण
    🌼🌿🌾जय श्री हरि: !!🙏🙏

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