सोमवार, 8 मई 2023

जय श्री राम

यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं,
तत्र तत्र कृतमस्तकांजलिम् |
वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं,
मारुतिम् नमत राक्षसान्तकम् ||

( जहां भगवान श्रीराम (रघुनाथ ) की स्तुति या संकीर्तन होता है, वहां राक्षसों का संहार करनेवाले श्री हनुमान, शरणागत मस्तक, श्रीराम के सम्मुख अपने हस्त कमल को जोड़कर और नेत्रोंमें भावपूर्ण आनंद के अश्रुओं के साथ उपस्थित रहते हैं , ऐसे श्रीहनुमान जी को हमारा बारम्बार प्रणाम !!!!)


5 टिप्‍पणियां:

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - सत्ताईसवाँ अध्याय..(पोस्ट०३)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - सत्ताईसवाँ अध्याय..(पोस्ट०३) प्रकृति-पुरुषके विवेक से मोक्ष-प्राप्ति का वर्णन...