नारदजी का शुकदेव को कर्मफलप्राप्तिमें परतन्त्रता- विषयक उपदेश तथा शुकदेवजी का सूर्य- लोक में जाने का निश्चय
स
तस्य सहजातस्य सप्तमीं नवमीं दशाम् ।
प्राप्नुवन्ति
ततः पञ्च न भवन्ति गतायुषः ॥ २८ ॥
अनादिकाल से
साथ उत्पन्न होनेवाले शरीर के साथ जीवात्मा अपना सम्बन्ध स्थापित कर लेता है । इस
शरीर की गर्भवास,
जन्म, बाल्य, कौमार,
पौगण्ड, यौवन, वृद्धत्व,
जरा, प्राणरोध और नाश- ये दस दशाएँ होती हैं ।
इनमेंसे सातवीं और नवीं दशा को भी शरीरगत पाँचों भूत ही प्राप्त होते हैं, आत्मा नहीं । आयु समाप्त होनेपर शरीरकी नवीं दशामें पहुँचनेपर ये पाँच भूत
नहीं रहते । अर्थात् दसवीं दशाको प्राप्त हो जाते हैं ॥ २८ ॥
नाभ्युत्थाने
मनुष्याणां योगाः स्युर्नात्र संशयः ।
व्याधिभिश्च
विमथ्यन्ते व्याधैः क्षुद्रमृगा इव ॥ २९ ॥
जैसे व्याध
छोटे मृगोंको कष्ट पहुँचाते हैं, उसी प्रकार जब नाना प्रकार के रोग
मनुष्यों को मथ डालते हैं, तब उनमें उठने-बैठने की भी शक्ति
नहीं रह जाती, इसमें संशय नहीं है॥ २९ ॥
व्याधिभिर्मथ्यमानानां
त्यजतां विपुलं धनम्।
वेदनां
नापकर्षन्ति यतमानाश्चिकित्सकाः ॥ ३० ॥
रोगों से
पीड़ित हुए मनुष्य वैद्यों को बहुत-सा धन देते हैं और वैद्यलोग रोग दूर करने की
बहुत चेष्टा करते हैं तो भी उन रोगियों की पीड़ा दूर नहीं कर पाते हैं ॥ ३० ॥
ते
चातिनिपुणा वैद्याः कुशलाः सम्भृतौषधाः ।
व्याधिभिः
परिकृष्यन्ते मृगा व्याधैरिवार्दिताः ॥ ३१ ॥
बहुत-सी
ओषधियोंका संग्रह करनेवाले चिकित्सामें कुशल चतुर वैद्य भी व्याधोंके मारे हुए
मृगोंकी भाँति रोगोंके शिकार हो जाते हैं ॥ ३१ ॥
ते
पिबन्तः कषायांश्च सर्पींषि विविधानि च ।
दृश्यन्ते
जरया भग्ना नगा नागैरिवोत्तमैः ॥ ३२ ॥
बड़े-बड़े
हाथी जैसे वृक्षोंको झुका देते हैं, वैसे ही वे तरह-
तरहके काढ़े और नाना प्रकारके घी पीते रहते हैं तो भी वृद्धावस्था उनकी कमर टेढ़ी
कर देती है; यह देखा जाता है ॥ ३२ ॥
......शेष
आगामी पोस्ट में
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित गीता-संग्रह पुस्तक (कोड 1958) से
जय श्री हरि
जवाब देंहटाएंJay shree Krishna
जवाब देंहटाएंJay shree Krishna
जवाब देंहटाएं🌹💐🌾जय श्री हरि: 🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय
नारायण नारायण नारायण नारायण
Jay shri ram 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंहरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
जवाब देंहटाएंहरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे 🪻🌿🪻जय श्री हरि:🙏🙏
ॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
नारायण नारायण नारायण नारायण