सोमवार, 31 जुलाई 2023

नारद गीता तीसरा अध्याय (पोस्ट 07)

 



नारदजी का शुकदेव को कर्मफलप्राप्तिमें  परतन्त्रता- विषयक उपदेश तथा शुकदेवजी का सूर्य- लोक में जाने का निश्चय

 

के वा भुवि चिकित्सन्ते रोगार्तान् मृगपक्षिणः ।

श्वापदानि दरिद्रांश्च प्रायो नार्ता भवन्ति ते ॥ ३३ ॥

 

इस पृथ्वीपर मृग, पक्षी, हिंसक पशु और दरिद्र मनुष्योंको जब रोग सताता है, तब कौन उनकी चिकित्सा करने जाते हैं ? किंतु प्राय: उन्हें रोग होता ही नहीं है ॥ ३३ ॥

 

घोरानपि दुराधर्षान् नृपतीनुग्रतेजसः ।

आक्रम्याददते रोगाः पशून् पशुगणा इव ॥ ३४ ॥

 

परन्तु बड़े-बड़े पशु जैसे छोटे पशुओंपर आक्रमण करके उन्हें दबा देते हैं, उसी प्रकार प्रचण्ड तेजवाले, घोर एवं दुर्धर्ष राजाओं पर भी बहुत-से रोग आक्रमण करके उन्हें अपने वश में कर लेते हैं ॥ ३४ ॥

 

इति लोकमनाक्रन्दं मोहशोकपरिप्लुतम् ।

स्त्रोतसा सहसाऽक्षिप्तं ह्रियमाणं बलीयसा ॥ ३५ ॥

 

इस प्रकार सब लोग भवसागरके प्रबल प्रवाहमें सहसा पड़कर इधर-उधर बहते हुए मोह और शोकमें डूब रहे हैं और आर्तनादतक नहीं कर पाते हैं ॥ ३५ ॥

 

न धनेन न राज्येन नोग्रेण तपसा तथा।

स्वभावमतिवर्तन्ते ये नियुक्ताः शरीरिणः ॥ ३६ ॥

 

विधाताके द्वारा कर्मफल- भोगमें नियुक्त हुए देहधारी मनुष्य धन, राज्य तथा कठोर तपस्याके प्रभावसे प्रकृतिका उल्लंघन नहीं कर सकते ॥ ३६ ॥

 

न म्रियेरन् न जीर्येरन् सर्वे स्युः सर्वकामिनः ।

नाप्रियं प्रति पश्येयुरुत्थानस्य फले सति ॥ ३७ ॥

 

यदि प्रयत्न का फल अपने हाथ में होता तो मनुष्य न तो बूढ़े होते और न मरते ही। सबकी समस्त कामनाएँ पूरी हो जातीं और किसीको अप्रिय नहीं देखना पड़ता ॥ ३७ ॥

 

......शेष आगामी पोस्ट में

गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित गीता-संग्रह पुस्तक (कोड 1958) से

 

 



4 टिप्‍पणियां:

  1. 🌸🍂🎋जय श्री हरि: 🙏🙏
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण नारायण नारायण

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  2. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

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  3. 🌷🌿🌸जय श्री हरि:🙏🙏
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे 🙏🥀हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे 🙏🥀🙏नारायण नारायण नारायण नारायण

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