रविवार, 1 अक्टूबर 2023

गीता प्रबोधनी ......ध्यान

 ॥ ॐ श्रीपरमात्मने नम:॥



ध्यान

“यस्यांगेऽखिलसृष्टिसौष्ठवमिदं प्रोतं सदा वर्तते,
यल्लीलाश्रवणेन दुर्जयमन: शीघ्रं हरौ रुध्यते |
नाम्नैकेन ही यस्य पापनिरतो जीवो भयान्मुच्यते,
वत्सीकृत्य तु फाल्गुनं करुणया गीतादुहे नो नम: ||”

(जिन भगवान् श्रीकृष्ण के अंग में सम्पूर्ण सृष्टि का सौंदर्य ओत-प्रोत है, जिनकी लीला का श्रवण करने से दुर्जय मन भी शीघ्र ही भगवान् में ठहर जाता है, जिनका एक नाम लेने मात्र से पाप में आसक्त जीव भी भय से मुक्त हो जाता है और जिन्होंने अर्जुन को बछड़ा बनाकर कृपापूर्वक गीतारूपी दूध को दुहा, उन्हें हम प्रणाम करते हैं)

ॐ तत्सत् !

गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तक “गीता प्रबोधनी” (कोड १५६२ से)


2 टिप्‍पणियां:

  1. ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
    प्रणत क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः 🌼🌺🏵️🌸💐🙏🙏🙏
    🌹🌾🥀जय श्री हरि: 🙏🙏

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