शनिवार, 2 मार्च 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण प्रथम स्कन्ध - पांचवां अध्याय..(पोस्ट..०७)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ 

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
प्रथम स्कन्ध--पाँचवाँ अध्याय..(पोस्ट ०७)

भगवान्‌ के यश-कीर्तन की महिमा और देवर्षि नारदजी का पूर्वचरित्र

नमो भगवते तुभ्यं वासुदेवाय धीमहि ।
प्रद्युम्नायानिरुद्धाय नमः सङ्कर्षणाय च ॥ ३७ ॥
इति मूर्त्यभिधानेन मंत्रमूर्तिममूर्तिकम् ।
यजते यज्ञपुरुषं स सम्यग् दर्शनः पुमान् ॥ ३८ ॥
इमं स्वनिगमं ब्रह्मन् अवेत्य मदनुष्ठितम् ।
अदान्मे ज्ञानमैश्वर्यं स्वस्मिन् भावं च केशवः ॥ ३९ ॥
त्वमप्यदभ्रश्रुत विश्रुतं विभोः
     समाप्यते येन विदां बुभुत्सितम् ।
प्राख्याहि दुःखैर्मुहुरर्दितात्मनां
     संक्लेशनिर्वाणमुशन्ति नान्यथा ॥ ४० ॥

‘प्रभो ! आप भगवान्‌ श्रीवासुदेवको नमस्कार है। हम आपका ध्यान करते हैं। प्रद्युम्न, अनिरुद्ध और संकर्षण को भी नमस्कार है’ ॥ ३७ ॥ इस प्रकार जो पुरुष चतुर्व्यूहरूपी भगवन्मूर्तियों के नामद्वारा प्राकृत-मूर्तिरहित अप्राकृत मन्त्रमूर्ति भगवान्‌ यज्ञपुरुष का पूजन करता है, उसी का ज्ञान पूर्ण एवं यथार्थ है ॥ ३८ ॥ ब्रह्मन् ! जब मैंने भगवान्‌ की आज्ञाका इस प्रकार पालन किया, तब इस बातको जानकर भगवान्‌ श्रीकृष्ण ने मुझे आत्मज्ञान, ऐश्वर्य और अपनी भावरूपा प्रेमाभक्ति का दान किया ॥ ३९ ॥ व्यासजी ! आपका ज्ञान पूर्ण है; आप भगवान्‌ की ही कीर्ति का—उनकी प्रेममयी लीलाका वर्णन कीजिये। उसीसे बड़े-बड़े ज्ञानियों की भी जिज्ञासा पूर्ण होती है। जो लोग दु:खोंके द्वारा बार-बार रौंदे जा रहे हैं, उनके दु:खकी शान्ति इसीसे हो सकती है, और कोई उपाय नहीं है ॥ ४० ॥

इति श्रीमद्‌भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां
प्रथमस्कन्धे व्यासनारदसंवादे पञ्चमोऽध्यायः ॥ ५ ॥

हरिः ॐ तत्सत् श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. 🍂🩷🌷जय श्री हरि:🙏🙏
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण हरि: हरि:🙏🙏

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