बुधवार, 30 अक्तूबर 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-तीसरा अध्याय..(पोस्ट०४)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
तृतीय स्कन्ध - तीसरा अध्याय..(पोस्ट०४)

भगवान्‌ के अन्य लीला-चरित्रों का वर्णन

कियान् भुवोऽयं क्षपितोरुभारो
     यद्द्रोणभीष्मार्जुन भीममूलैः ।
अष्टादशाक्षौहिणिको मदंशैः
     आस्ते बलं दुर्विषहं यदूनाम् ॥ १४ ॥
मिथो यदैषां भविता विवादो
     मध्वामदाताम्रविलोचनानाम् ।
नैषां वधोपाय इयानतोऽन्यो
     मय्युद्यतेऽन्तर्दधते स्वयं स्म ॥ १५ ॥
एवं सञ्चिन्त्य भगवान् स्वराज्ये स्थाप्य धर्मजम् ।
नन्दयामास सुहृदः साधूनां वर्त्म दर्शयन् ॥ १६ ॥

वे (भगवान्) सोचने लगे—यदि द्रोण, भीष्म, अर्जुन और भीमसेन के द्वारा इस अठारह अक्षौहिणी सेना का विपुल संहार हो भी गया, तो इससे पृथ्वी का कितना भार हलका हुआ। अभी तो मेरे अंशरूप प्रद्युम्न आदि के बलसे बढ़े हुए यादवों का दु:सह दल बना ही हुआ है ॥ १४ ॥ जब ये मधु-पानसे मतवाले हो लाल-लाल आँखें करके आपस में लडऩे लगेंगे, तब उससे ही इनका नाश होगा। इसके सिवा और कोई उपाय नहीं है। असल में मेरे संकल्प करने पर ये स्वयं ही अन्तर्धान हो जायँगे ॥ १५ ॥ यों सोचकर भगवान्‌ने युधिष्ठिरको अपनी पैतृक राजगद्दीपर बैठाया और अपने सभी सगे-सम्बन्धियोंको सत्पुरुषोंका मार्ग दिखाकर आनन्दित किया ॥ १६ ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. 🌹💖🥀🌺जय श्रीकृष्ण🙏🙏
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे
    हे नाथ नारायण वासुदेव !!
    नारायण नारायण नारायण नारायण

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