शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - नवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
तृतीय स्कन्ध - नवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)

ब्रह्माजी द्वारा भगवान्‌ की स्तुति

ब्रह्मोवाच –

ज्ञातोऽसि मेऽद्य सुचिरान्ननु देहभाजां
    न ज्ञायते भगवतो गतिरित्यवद्यम् ।
नान्यत्त्वदस्ति भगवन्नपि तन्न शुद्धं
    मायागुणव्यतिकराद् यदुरुर्विभासि ॥ १ ॥
रूपं यदेतदवबोधरसोदयेन ।
    शश्वन्निवृत्ततमसः सदनुग्रहाय ।
आदौ गृहीतमवतारशतैकबीजं ।
    यन्नाभिपद्मभवनाद् अहमाविरासम् ॥ २ ॥
नातः परं परम यद्भ्वतः स्वरूपम् ।
    आनन्दमात्रमविकल्पमविद्धवर्चः ।
पश्यामि विश्वसृजमेकमविश्वमात्मन् ।
    भूतेन्द्रियात्मकमदस्त उपाश्रितोऽस्मि ॥ ३ ॥

ब्रह्माजीने कहा—प्रभो ! आज बहुत समय के बाद मैं आपको जान सका हूँ। अहो ! कैसे दुर्भाग्य की बात है कि देहधारी जीव आपके स्वरूप को नहीं जान पाते। भगवन् ! आपके सिवा और कोई वस्तु नहीं है। जो वस्तु प्रतीत होती है, वह भी स्वरूपत: सत्य नहीं है, क्योंकि मायाके गुणोंके क्षुभित होनेके कारण केवल आप ही अनेकों रूपोंमें प्रतीत हो रहे हैं ॥ १ ॥ देव ! आपकी चित्- शक्ति के प्रकाशित रहनेके कारण अज्ञान आपसे सदा ही दूर रहता है। आपका यह रूप, जिसके नाभि-कमलसे मैं प्रकट हुआ हूँ, सैकड़ों अवतारोंका मूल कारण है। इसे आपने सत्पुरुषोंपर कृपा करनेके लिये ही पहले-पहल प्रकट किया है ॥ २ ॥ परमात्मन् ! आपका जो आनन्दमात्र, भेदरहित, अखण्ड तेजोमयस्वरूप है, उसे मैं इससे भिन्न नहीं समझता। इसलिये मैंने विश्वकी रचना करनेवाले होनेपर भी विश्वातीत आपके इस अद्वितीय रूपकी ही शरण ली है। यही सम्पूर्ण भूत और इन्द्रियोंका भी अधिष्ठान है ॥ ३ ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


2 टिप्‍पणियां:

  1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः 💐💐🙏

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  2. 🥀💖🌹 ॐ श्रीपरमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण नारायण नारायण 🙏🪔🙏 जय श्री हरि:🙏🙏

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