शुक्रवार, 29 मार्च 2019

||श्रीहरि:||




नाम-सङ्कीर्तन आदि में वर्ण-आश्रम का भी नियम नहीं है

ब्राह्मणा: क्षत्रिया वैश्या: स्त्रिय: शूद्रान्त्यजातय:।
यत्र तत्रानुकुर्वन्ति विष्णोर्नामानुकीर्तनम्। सर्वपापविनिर्मुक्तास्तेऽपि यान्ति सनातनम् ।।

ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, स्त्री, शूद्र, अन्त्यज आदि जहाँ-तहाँ विष्णुभगवान्‌ के नाम का अनुकीर्तन करते रहते हैं, वे भी समस्त पापोंसे मुक्त होकर सनातन परमात्माको प्राप्त होते हैं।

......... श्रीमद्भागवतमहापुराण ६/०२




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