☼ श्रीदुर्गादेव्यै
नमो नम: ☼
अथ
श्रीदुर्गासप्तशती
श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट ०१)
श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट ०१)
उद्यच्चन्दनकुङ्कुमारुणपयोधाराभिराप्लावितां
नानानर्घ्यमणिप्रवालघटितां दत्तां गृहाणाम्बिके ।
आमृष्टां सुरसुन्दरीभिरभितो हस्ताम्बुजैर्भक्तितो
मातः सुन्दरि भक्तकल्पलतिके श्रीपादुकामादरात् ॥ १॥
माता
त्रिपुरसुन्दरि! तुम भक्तजनों की मनोवाञ्छा पूर्ण करनेवाली कल्पलता हो । माँ ! यह
पादुका आदरपूर्वक तुम्हारे श्रीचरणों में समर्पित है, इसे ग्रहण करो। यह उत्तम चन्दन और कुङ्कम से मिली हुई लाल जलकी धारा से
धोयी गयी है। भाँति-भाँतिकी बहुमूल्य
मणियों तथा मूँगों से इसका निर्माण हुआ है और बहुत-सी देवाङ्गनाओं ने अपने
कर-कमलों द्वारा भक्तिपूर्वक इसे सब ओर से धो-पोछकर स्वच्छ बना दिया॥१॥
शेष
आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीदुर्गासप्तशती पुस्तक कोड 1281 से
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