शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019

श्रीदुर्गासप्तशती श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट १२)


श्रीदुर्गादेव्यै नमो नम:

अथ श्रीदुर्गासप्तशती
श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट १२)

घृतद्रवपरिस्फुरद्रुचिररत्नयष्ट्यान्वितो
महातिमिरनाशनः सुरनितम्बिनीनिर्मितः ।
सुवर्णचषकस्थितः सघनसारवर्त्यान्वित-
स्तव त्रिपुरसुन्दरि स्फुरति देवि दीपो मुदे ॥ १२॥

देवी त्रिपुरसुन्दरी! तुम्हारी प्रसन्नता के लिये यहाँ यह दीप  प्रकाशित हो रहा है। यह घी से जलता है; इसकी दीयटमें सुन्दर रत्नका डंडा लगा है, इसे देवाङ्गनाओं ने बनाया है। यह दीपक सुवर्णके चषक (पात्र) में जलाया गया है। इसमें कपूर के साथ बत्ती रखी है। यह भारी-से-भारी अन्धकार का भी नाश  करनेवाला है॥१२॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीदुर्गासप्तशती पुस्तक कोड 1281 से





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-पांचवां अध्याय..(पोस्ट१०)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - पाँचवा अध्याय..(पोस्ट१०) विदुरजीका प्रश्न  और मैत्रेयजीका सृष्टिक्रमवर्णन विश...