☼ श्रीदुर्गादेव्यै
नमो नम: ☼
अथ
श्रीदुर्गासप्तशती
श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट ११)
श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट ११)
मांसीगुग्गुलचन्दनागुरुरजः कर्पूरशैलेयजै-
र्माध्वीकैः सहकुङ्कुमैः सुरचितैः सर्पिभिरामिश्रितैः ।
सौरभ्यस्थितिमन्दिरे मणिमये पात्रे भवेत् प्रीतये
धूपोऽयं सुरकामिनीविरचितः श्रीचण्डिके त्वन्मुदे ॥ ११॥
श्रीचण्डिका
देवि! देववधुओं के द्वारा तैयार किया हुआ यह दिव्य धूप तुम्हारी प्रसन्नता
बढ़ानेवाला हो। यह धूप रत्नमय पात्र में, जो सुगन्ध का
निवासस्थान है, रखा हुआ है; यह तुम्हें
सन्तोष प्रदान करे। इसमें जटामासी, गुग्गुल, चन्दन, अगुरु-चूर्ण, कपूर,
शिलाजीत, मधु, कुङ्कम
तथा घी मिलाकर उत्तम रीति से बनाया गया है॥११॥
शेष
आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीदुर्गासप्तशती पुस्तक कोड 1281 से
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