जय विश्वनाथ !
तस्मै
नमः परमकारणकारणाय
दीप्तोज्ज्वलज्ज्वलितपिङ्गललोचनाय
।
नागेन्द्रहारकृतकुण्डलभूषणाय
ब्रह्मेन्द्रविष्णुवरदाय
नमः शिवाय ॥
(जो कारण के भी परम कारण हैं,
(अग्निशिखा के समान) अति देदीप्यमान उज्ज्वल और पिंगल नेत्रोंवाले
हैं, सर्पराजों के हार-कुण्डलादि से भूषित हैं तथा ब्रह्मा,
विष्णु और इन्द्रादि को भी वर देनेवाले हैं, उन
श्रीशंकर को नमस्कार करता हूँ)
🌸🔱🌸 ॐ नमः शिवाय 🙏🙏
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