सोमवार, 26 अगस्त 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण अष्टम स्कन्ध – दूसरा अध्याय..(पोस्ट०५)




॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – दूसरा अध्याय..(पोस्ट०५)

ग्राह के द्वारा गजेन्द्र का पकड़ा जाना

ततो गजेन्द्रस्य मनोबलौजसां
     कालेन दीर्घेण महानभूद् व्ययः ।
विकृष्यमाणस्य जलेऽवसीदतो
     विपर्ययोऽभूत् सकलं जलौकसः ॥ ३० ॥
इत्थं गजेन्द्रः स यदाप संकटं
     प्राणस्य देही विवशो यदृच्छया ।
अपारयन्नात्मविमोक्षणे चिरं
     दध्याविमां बुद्धिमथाभ्यपद्यत ॥ ३१ ॥
न मामिमे ज्ञातय आतुरं गजाः
     कुतः करिण्यः प्रभवन्ति मोचितुम् ।
ग्राहेण पाशेन विधातुरावृतोऽपि
     अहं च तं यामि परं परायणम् ॥ ३२ ॥
यः कश्चनेशो बलिनोऽन्तकोरगात्
     प्रचण्डवेगादभिधावतो भृशम् ।
भीतं प्रपन्नं परिपाति यद्‍भयात्
     मृत्युः प्रधावत्यरणं तमीमहि ॥ ३३ ॥

अन्त में बहुत दिनों तक बार-बार जल में खींचे जाने से गजेन्द्र का शरीर शिथिल पड़ गया। न तो उसके शरीरमें बल रह गया और न मनमें उत्साह। शक्ति भी क्षीण हो गयी। इधर ग्राह तो जलचर ही ठहरा। इसलिये उसकी शक्ति क्षीण होनेके स्थानपर बढ़ गयी, वह बड़े उत्साहसे और भी बल लगाकर गजेन्द्रको खींचने लगा ॥ ३० ॥ इस प्रकार देहाभिमानी गजेन्द्र अकस्मात् प्राणसङ्कट में पड़ गया और अपनेको छुड़ानेमें सर्वथा असमर्थ हो गया। बहुत देरतक उसने अपने छुटकारेके उपायपर विचार किया, अन्तमें वह इस निश्चयपर पहुँचा ॥ ३१ ॥ यह ग्राह विधाताकी फाँसी ही है। इसमें फँसकर मैं आतुर हो रहा हूँ। जब मुझे मेरे बराबरके हाथी भी इस विपत्तिसे न उबार सके, तब ये बेचारी हथिनियाँ तो छुड़ा ही कैसे सकती हैं। इसलिये अब मैं सम्पूर्ण विश्वके एकमात्र आश्रय भगवान्‌की ही शरण लेता हूँ ॥ ३२ ॥ काल बड़ा बली है। यह साँपके समान बड़े प्रचण्ड वेगसे सबको निगल जानेके लिये दौड़ता ही रहता है। इससे अत्यन्त भयभीत होकर जो कोई भगवान्‌की शरणमें चला जाता है, उसे वे प्रभु अवश्य-अवश्य बचा लेते हैं। उनके भयसे भीत होकर मृत्यु भी अपना काम ठीक-ठीक पूरा करता है। वही प्रभु सब के आश्रय हैं। मैं उन्हीं की शरण ग्रहण करता हूँ॥ ३३ ॥

इति श्रीमद्‌भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां
अष्टमस्कन्धे मन्वन्तरानुवर्णने गजेन्द्रोपाख्याने द्वितीयोऽध्यायः ॥ २ ॥

हरिः ॐ तत्सत् श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से




5 टिप्‍पणियां:

  1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌺🌹🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

    जवाब देंहटाएं
  3. जय श्री सीताराम जय हो प्रभु जी जय हो

    जवाब देंहटाएं
  4. 🍂💖🌼जय श्री हरि: !! 🙏🙏
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

    जवाब देंहटाएं

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-पांचवां अध्याय..(पोस्ट०९)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - पाँचवा अध्याय..(पोस्ट०९) विदुरजीका प्रश्न  और मैत्रेयजीका सृष्टिक्रमवर्णन देव...