॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – ग्यारहवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)
देवासुर-संग्रामकी समाप्ति
जम्भं श्रुत्वा हतं तस्य ज्ञातयो नारदादृषेः
नमुचिश्च बलः पाकस्तत्रापेतुस्त्वरान्विताः ॥ १९ ॥
वचोभिः परुषैरिन्द्र मर्दयन्तोऽस्य मर्मसु
शरैरवाकिरन्मेघा धाराभिरिव पर्वतम् ॥ २० ॥
हरीन्दशशतान्याजौ हर्यश्वस्य बलः शरैः
तावद्भिरर्दयामास युगपल्लघुहस्तवान् ॥ २१ ॥
शताभ्यां मातलिं पाको रथं सावयवं पृथक्
सकृत्सन्धानमोक्षेण तदद्भुतमभूद्रणे ॥ २२ ॥
नमुचिः पञ्चदशभिः स्वर्णपुङ्खैर्महेषुभिः
आहत्य व्यनदत्सङ्ख्ये सतोय इव तोयदः ॥ २३ ॥
देवर्षि नारदसे जम्भासुर की मृत्युका समाचार जानकर उसके
भाई-बन्धु नमुचि,
बल और पाक झटपट रणभूमिमें आ पहुँचे ॥ १९ ॥ अपने कठोर और
मर्मस्पर्शी वाणीसे उन्होंने इन्द्रको बहुत कुछ बुरा-भला कहा और जैसे बादल पहाड़पर
मूसलधार पानी बरसाते हैं ,
वैसे ही उनके ऊपर बाणोंकी झड़ी लगा दी ॥ २० ॥ बलने बड़े
हस्तलाघवसे एक साथ ही एक हजार बाण चलाकर इन्द्रके एक हजार घोड़ोंको घायल कर दिया ॥
२१ ॥ पाकने सौ बाणोंसे मातलिको और सौ बाणोंसे रथके एक-एक अङ्गको छेद डाला।
युद्धभूमिमें यह बड़ी अद्भुत घटना हुई कि एक ही बार इतने बाण उसने चढ़ाये और चलाये
॥ २२ ॥ नमुचिने बड़े-बड़े पंद्रह बाणोंसे, जिनमें सोनेके पंख लगे हुए थे, इन्द्र को मारा और युद्धभूमि में वह जलसे भरे बादल के समान गरजने लगा ॥२३॥
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
Jày shree Krishna
जवाब देंहटाएंजय श्री सीताराम
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🙏
जवाब देंहटाएंOm namo narayanay 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएं🌷🌸💐 जय श्री हरि: !!🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय
नारायण नारायण नारायण हरि: हरि: