रविवार, 22 दिसंबर 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण नवम स्कन्ध –ग्यारहवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)


॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥



श्रीमद्भागवतमहापुराण

नवम स्कन्ध ग्यारहवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)



भगवान्‌ श्रीराम की शेष लीलाओं का वर्णन


यस्यामलं नृपसस्सु यशोऽधुनापि ।

गायन्त्यघघ्नमृषयो दिगिभेन्द्रपट्टम् ॥

तं नाकपालवसुपालकिरीटजुष्ट ।

पादाम्बुजं रघुपतिं शरणं प्रपद्ये ॥ २१ ॥

स यैः स्पृष्टोऽभिदृष्टो वा संविष्टोऽनुगतोऽपि वा ।

कोसलास्ते ययुः स्थानं यत्र गच्छन्ति योगिनः ॥ २२ ॥

पुरुषो रामचरितं श्रवणैरुपधारयन् ।

आनृशंस्यपरो राजन् कर्मबन्धैः विमुच्यते ॥ २३ ॥


भगवान्‌ श्रीराम का निर्मल यश समस्त पापों को नष्ट कर देनेवाला है। वह इतना फैल गया है कि दिग्गजों का श्यामल शरीर भी उसकी उज्ज्वलता से चमक उठता है। आज भी बड़े-बड़े ऋषि- महर्षि राजाओं की सभामें उसका गान करते रहते हैं। स्वर्गके देवता और पृथ्वी के नरपति अपने कमनीय किरीटों से उनके चरणकमलों की सेवा करते रहते हैं। मैं उन्हीं रघुवंशशिरोमणि भगवान्‌ श्रीरामचन्द्र की शरण ग्रहण करता हूँ ॥ २१ ॥ जिन्होंने भगवान्‌ श्रीरामका दर्शन और स्पर्श किया, उनका सहवास अथवा अनुगमन कियावे सब-के-सब तथा कोसलदेश के निवासी भी उसी लोकमें गये, जहाँ बड़े-बड़े योगी योगसाधनाके द्वारा जाते हैं ॥ २२ ॥ जो पुरुष अपने कानोंसे भगवान्‌ श्रीरामका चरित्र सुनता हैउसे सरलता, कोमलता आदि गुणोंकी प्राप्ति होती है। परीक्षित्‌ ! केवल इतना ही नहीं, वह समस्त कर्म-बन्धनोंसे मुक्त हो जाता है ॥ २३ ॥



शेष आगामी पोस्ट में --

गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


2 टिप्‍पणियां:

  1. 🌼🍂🌹जय श्री राम 🙏🙏🙏
    श्री राम जय राम जय जय राम
    जय श्री राम जय जय सियाराम

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