बुधवार, 27 मार्च 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण प्रथम स्कन्ध - नवां अध्याय..(पोस्ट..०४)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ 

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
प्रथम स्कन्ध--नवाँ अध्याय..(पोस्ट ०४)

युधिष्ठिरादिका भीष्मजीके पास जाना और भगवान्‌ श्रीकृष्णकी स्तुति 
करते हुए भीष्मजीका प्राणत्याग करना

न ह्यस्य कर्हिचित् राजन् पुमान् वेद विधित्सितम् ।
यत् विजिज्ञासया युक्ता मुह्यन्ति कवयोऽपि हि ॥ १६ ॥
तस्मात् इदं दैवतंत्रं व्यवस्य भरतर्षभ ।
तस्यानुविहितोऽनाथा नाथ पाहि प्रजाः प्रभो ॥ १७ ॥
एष वै भगवान् साक्षात् आद्यो नारायणः पुमान् ।
मोहयन् मायया लोकं गूढश्चरति वृष्णिषु ॥ १८ ॥
अस्यानुभावं भगवान् वेद गुह्यतमं शिवः ।
देवर्षिर्नारदः साक्षात् भगवान् कपिलो नृप ॥ १९ ॥

(भीष्मपितामह कह रहे हैं) ये कालरूप श्रीकृष्ण कब क्या करना चाहते हैं, इस बात को कभी कोई नहीं जानता। बड़े-बड़े ज्ञानी भी इसे जाननेकी इच्छा करके मोहित हो जाते हैं ॥ १६ ॥ युधिष्ठिर ! संसारकी ये सब घटनाएँ ईश्वरेच्छा के अधीन हैं। उसीका अनुसरण करके तुम इस अनाथ प्रजाका पालन करो; क्योंकि अब तुम्हीं इसके स्वामी और इसे पालन करनेमें समर्थ हो ॥ १७ ॥ ये श्रीकृष्ण साक्षात् भगवान्‌ हैं। ये सबके आदि कारण और परम पुरुष नारायण हैं। अपनी मायासे लोगोंको मोहित करते हुए ये यदुवंशियों में छिपकर लीला कर रहे हैं ॥ १८ ॥ इनका प्रभाव अत्यन्त गूढ़ एवं रहस्यमय है। युधिष्ठिर ! उसे भगवान्‌ शङ्कर, देवर्षि नारद और स्वयं भगवान्‌ कपिल ही जानते हैं ॥ १९ ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्ट संस्करण)  पुस्तक कोड 1535 से


3 टिप्‍पणियां:

  1. 🌹🙏 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।🙏🌹

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  2. 🌺🩷🌹🥀जय श्री हरि:🙏🙏
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण नारायण नारायण 🥀🙏🙏🥀

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  3. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय

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