शनिवार, 31 अगस्त 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण द्वितीय स्कन्ध-सातवां अध्याय..(पोस्ट११)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
द्वितीय स्कन्ध- सातवाँ अध्याय..(पोस्ट११)

भगवान्‌ के लीलावतारों की कथा

गोपैर्मखे प्रतिहते व्रजविप्लवाय ।
    देवेऽभिवर्षति पशून् कृपया रिरक्षुः ।
धर्तोच्छिलीन्ध्रमिव सप्तदिनानि सप्त ।
    वर्षो महीध्रमनघैककरे सलीलम् ॥ ३२ ॥
क्रीडन् वने निशि निशाकररश्मिगौर्यां ।
    रासोन्मुखः कलपदायतमूर्च्छितेन ।
उद्दीपितस्मररुजां व्रजभृद्वधूनां ।
    हर्तुर्हरिष्यति शिरो धनदानुगस्य ॥ ३३ ॥
ये च प्रलम्बखरदर्दुरकेश्यरिष्ट ।
    मल्लेभकंसयवनाः कपिपौण्ड्रकाद्याः ।
अन्ये च शाल्वकुजबल्वलदन्तवक्र ।
    सप्तोक्षशम्बरविदूरथ रुक्मिमुख्याः ॥ ३४ ॥
ये वा मृधे समितिशालिन आत्तचापाः ।
    काम्बोजमत्स्यकुरुकैकयसृञ्जयाद्याः ।
यास्यन्त्यदर्शनमलं बलपार्थभीम ।
    व्याजाह्वयेन हरिणा निलयं तदीयम् ॥ ३५ ॥

(ब्रह्माजी कहरहे हैं) निष्पाप नारद ! जब श्रीकृष्ण की सलाह से गोपलोग इन्द्र का यज्ञ बंद कर देंगे, तब इन्द्र व्रजभूमि का नाश करने के लिये चारों ओरसे मूसलधार वर्षा करने लगेंगे। उससे उनकी तथा उनके पशुओंकी रक्षा करनेके लिये भगवान्‌ कृपापरवश हो सात वर्षकी अवस्थामें ही सात दिनोंतक गोवर्धन पर्वत को एक ही हाथ से छत्रक पुष्प (कुकुरमुत्ते) की तरह खेल-खेल में ही धारण किये रहेंगे ॥ ३२ ॥ वृन्दावनमें विहार करते हुए रास करनेकी इच्छासे वे रातके समय, जब चन्द्रमाकी उज्ज्वल चाँदनी चारों ओर छिटक रही होगी, अपनी बाँसुरीपर मधुर सङ्गीतकी लंबी तान छेड़ेंगे। उससे प्रेमविवश होकर आयी हुई गोपियोंको जब कुबेरका सेवक शङ्खचूड़ हरण करेगा, तब वे उसका सिर उतार लेंगे ॥ ३३ ॥ और भी बहुत-से प्रलम्बासुर, धेनुकासुर, बकासुर, केशी, अरिष्टासुर, आदि दैत्य, चाणूर आदि पहलवान, कुवलयापीड हाथी, कंस, कालयवन, भौमासुर, मिथ्यावासुदेव, शाल्व, द्विविद वानर, बल्वल, दन्तवक्त्र, राजा नग्रजित्के सात बैल, शम्बरासुर, विदूरथ और रुक्मी आदि तथा काम्बोज, मत्स्य, कुरु, केकय और सृञ्जय आदि देशोंके राजालोग एवं जो भी योद्धा धनुष धारण करके युद्धके मैदान में सामने आयेंगे, वे सब बलराम, भीमसेन और अर्जुन आदि नामोंकी आड़में स्वयं भगवान्‌ के द्वारा मारे जाकर उन्हींके धाममें चले जायँगे ॥ ३४-३५ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. 🌹💟🥀🥀जय श्रीकृष्ण🙏🙏
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे
    हे नाथ नारायण वासुदेव
    नारायण नारायण नारायण नारायण

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