गुरुवार, 17 अक्तूबर 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-दूसरा अध्याय..(पोस्ट०१)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
तृतीय स्कन्ध - दूसरा अध्याय..(पोस्ट०१)

उद्धवजी द्वारा भगवान्‌ की बाललीलाओं का वर्णन

श्रीशुक उवाच ।
इति भागवतः पृष्टः क्षत्त्रा वार्तां प्रियाश्रयाम् ।
प्रतिवक्तुं न चोत्सेह औत्कण्ठ्यात् स्मारितेश्वरः ॥ १ ॥
यः पञ्चहायनो मात्रा प्रातराशाय याचितः ।
तन्नैच्छत् रचयन् यस्य सपर्यां बाललीलया ॥ २ ॥
स कथं सेवया तस्य कालेन जरसं गतः ।
पृष्टो वार्तां प्रतिब्रूयाद् भर्तुः पादौ अनुस्मरन् ॥ ३ ॥
स मुहूर्तं अभूत्तूष्णीं कृष्णाङ्‌घ्रिसुधया भृशम् ।
तीव्रेण भक्तियोगेन निमग्नः साधु निर्वृतः ॥ ४ ॥
पुलकोद् भिन्नसर्वाङ्गो मुञ्चन्मीलद्‌दृशा शुचः ।
पूर्णार्थो लक्षितस्तेन स्नेहप्रसरसम्प्लुतः ॥ ५ ॥
शनकैः भगवल्लोकान् नृलोकं पुनरागतः ।
विमृज्य नेत्रे विदुरं प्रीत्याहोद्धव उत्स्मयन् ॥ ६ ॥

श्रीशुकदेवजी कहते हैं—जब विदुरजीने परम भक्त उद्धवसे इस प्रकार उनके प्रियतम श्रीकृष्ण से सम्बन्ध रखनेवाली बातें पूछीं, तब उन्हें अपने स्वामी का स्मरण हो आया और वे हृदय भर आनेके कारण कुछ भी उत्तर न दे सके ॥ १ ॥ जब ये पाँच वर्षके थे, तब बालकोंकी तरह खेलमें ही श्रीकृष्णकी मूर्ति बनाकर उसकी सेवा-पूजा में ऐसे तन्मय हो जाते थे कि कलेवे के लिये माता के बुलानेपर भी उसे छोडक़र नहीं जाना चाहते थे ॥ २ ॥ अब तो दीर्घकाल से उन्हीं की सेवामें रहते-रहते ये बूढ़े हो चले थे; अत: विदुरजीके पूछनेसे उन्हें अपने प्यारे प्रभुके चरणकमलों का स्मरण हो आया—उनका चित्त विरहसे व्याकुल हो गया। फिर वे कैसे उत्तर दे सकते थे ॥ ३ ॥ उद्धवजी श्रीकृष्णके चरणारविन्द-मकरन्द-सुधा से सराबोर होकर दो घड़ीतक कुछ भी नहीं बोल सके। तीव्र भक्तियोगसे उसमें डूबकर वे आनन्द-मग्न ॥ ४ ॥ उनके सारे शरीर में रोमाञ्च हो आया तथा मुँदे हुए नेत्रोंसे प्रेम के आँसुओं की धारा बहने लगी। उद्धवजी को इस प्रकार प्रेम-प्रवाहमें डूबे हुए देखकर विदुरजीने उन्हें कृतकृत्य माना ॥ ५ ॥ कुछ समय बाद जब उद्धवजी भगवान्‌ के प्रेमधामसे उतरकर पुन: धीरे-धीरे संसार में आये, तब अपने नेत्रों को पोंछकर भगवल्लीलाओं का स्मरण हो आनेसे विस्मित हो विदुरजी से इस प्रकार कहने लगे ॥ ६ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. हे गोविंद हे गोपाल हे करुणामय दीनदयाल 🥀💖🌹🙏🙏
    श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे
    हे नाथ नारायण वासुदेव ‼️
    श्री कृष्ण शरणं मम् 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-पांचवां अध्याय..(पोस्ट०२)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - पाँचवा अध्याय..(पोस्ट०२) विदुरजी का प्रश्न  और मैत्रेयजी का सृष्टिक्रम ...