॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
तृतीय स्कन्ध - उन्नीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)
हिरण्याक्ष-वध
तेनेत्थमाहतः क्षत्तः भगवान् आदिसूकरः ।
नाकम्पत मनाक्क्वापि स्रजा हत इव द्विपः ॥ १६ ॥
अथोरुधासृजन् मायां योगमायेश्वरे हरौ ।
यां विलोक्य प्रजास्त्रस्ता मेनिरेऽस्योपसंयमम् ॥ १७ ॥
प्रववुर्वायवश्चण्डाः तमः पांसवमैरयन् ।
दिग्भ्यो निपेतुर्ग्रावाणः क्षेपणैः प्रहिता इव ॥ १८ ॥
द्यौर्नष्टभगणाभ्रौघैः सविद्युत् स्तनयित्नु भिः ।
वर्षद्भिः पूयकेशासृग् विण्मूत्रास्थीनि चासकृत् ॥ १९ ॥
गिरयः प्रत्यदृश्यन्त नानायुधमुचोऽनघ ।
दिग्वाससो यातुधान्यः शूलिन्यो मुक्तमूर्धजाः ॥ २० ॥
बहुभिर्यक्षरक्षोभिः पत्त्यश्व रथकुञ्जरैः ।
आततायिभिरुत्सृष्टा हिंस्रा वाचोऽतिवैशसाः ॥ २१ ॥
प्रादुष्कृतानां मायानां आसुरीणां विनाशयत् ।
सुदर्शनास्त्रं भगवान् प्रायुङ्क्त दयितं त्रिपात् ॥ २२ ॥
तदा दितेः समभवत् सहसा हृदि वेपथुः ।
स्मरन्त्या भर्तुः आदेशं स्तनात् च असृक् प्रसुस्रुवे ॥ २३ ॥
विदुरजी ! जैसे हाथीपर पुष्पमाला की चोट का कोई असर नहीं होता, उसी प्रकार उसके इस प्रकार घूँसा मारने से भगवान् आदिवराह तनिक भी टस-से-मस नहीं हुए ॥ १६ ॥ तब वह महामायावी दैत्य मायापति श्रीहरिपर अनेक प्रकारकी मायाओंका प्रयोग करने लगा, जिन्हें देखकर सभी प्रजा बहुत डर गयी और समझने लगी कि अब संसारका प्रलय होनेवाला है ॥ १७ ॥ बड़ी प्रचण्ड आँधी चलने लगी, जिसके कारण धूलसे सब ओर अन्धकार छा गया। सब ओरसे पत्थरोंकी वर्षा होने लगी, जो ऐसे जान पड़ते थे मानो किसी क्षेपणयन्त्र (गुलेल) से फेंके जा रहे हों ॥ १८ ॥ बिजलीकी चमचमाहट और कडक़के साथ बादलोंके घिर आनेसे आकाशमें सूर्य, चन्द्र आदि ग्रह छिप गये तथा उनसे निरन्तर पीब, केश, रुधिर, विष्ठा, मूत्र और हड्डियोंकी वर्षा होने लगी ॥ १९ ॥ विदुरजी ! ऐसे-ऐसे पहाड़ दिखायी देने लगे, जो तरह-तरहके अस्त्र-शस्त्र बरसा रहे थे। हाथमें त्रिशूल लिये बाल खोले नंगी राक्षसियाँ दीखने लगीं ॥ २० ॥ बहुत-से पैदल, घुड़सवार रथी और हाथियोंपर चढ़े सैनिकोंके साथ आततायी यक्ष-राक्षसोंका ‘मारो-मारो, काटो-काटो’ ऐसा अत्यन्त क्रूर और हिंसामय कोलाहल सुनायी देने लगा ॥ २१ ॥ इस प्रकार प्रकट हुए उस आसुरी माया-जाल का नाश करनेके लिये यज्ञमूर्ति भगवान् वराह ने अपना प्रिय सुदर्शनचक्र छोड़ा ॥ २२ ॥ उस समय अपने पति का कथन स्मरण हो आनेसे दिति का हृदय सहसा काँप उठा और उसके स्तनों से रक्त बहने लगा ॥ २३ ॥
शेष आगामी पोस्ट में --
🌺🌹💖🌺जय श्रीहरि:🙏
जवाब देंहटाएंॐ श्रीपरमात्मने नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
हे नाथ नारायण वासुदेव: !!