‘अर्थार्थी’ और ‘आर्त’ भक्त तो वे कहलाते हैं, जो धनके लिये केवल भगवान् के ऊपर ही भरोसा रखते हैं । धन
प्राप्त करेंगे तो केवल भगवान् से ही, दूसरे किसीसे नहीं – ऐसा उनका दृढ़ निश्चय
होता है ।
- परम श्रद्धेय स्वामी
रामसुखदासजी महाराज
‘मानसमें नाम-वन्दना’
पुस्तकसे (पृ. २७)
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