बुधवार, 13 दिसंबर 2017

भगवान् के भक्त




अर्थार्थीऔर आर्तभक्त तो वे कहलाते हैं, जो धनके लिये केवल भगवान् के ऊपर ही भरोसा रखते हैं । धन प्राप्त करेंगे तो केवल भगवान् से ही, दूसरे किसीसे नहीं ऐसा उनका दृढ़ निश्चय होता है ।

- परम श्रद्धेय स्वामी रामसुखदासजी महाराज
मानसमें नाम-वन्दनापुस्तकसे (पृ. २७)


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - सत्ताईसवाँ अध्याय..(पोस्ट०३)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - सत्ताईसवाँ अध्याय..(पोस्ट०३) प्रकृति-पुरुषके विवेक से मोक्ष-प्राप्ति का वर्णन...