शनिवार, 29 जून 2019

भगवान्‌ की आवश्यकता का अनुभव करना (पोस्ट ३)



: श्रीहरि :

भगवान्‌ की आवश्यकता का अनुभव करना
(पोस्ट ३)

हमारी आवश्यकता परमात्मतत्त्वकी है । इस आवश्यकताको हम कभी भूलें नहीं, इसको हरदम जाग्रत् रखें । नींद आ जाय तो आने दें, पर अपनी तरफसे आवश्यकताकी भूली मत होने दें । भगवान्‌की प्राप्ति हो जाय, उनमें प्रेम हो जायइस प्रकार आठ पहर इसको जाग्रत् रखें तो काम पूरा हो जायगा ! बीचमें दूसरी इच्छाएँ होती रहेंगी तो ज्यादा समय लग जायगा । दूसरी इच्छा पैदा हो तो जबान हिला दें कि नहीं-नहीं, मेरी कोई इच्छा नहीं! अगर दूसरी इच्छा न रहे तो आठ पहर भी नहीं लगेंगे

गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित लक्ष्य अब दूर नहीं !पुस्तक से



2 टिप्‍पणियां:

श्रीमद्भागवतमहापुराण चतुर्थ स्कन्ध - आठवां अध्याय..(पोस्ट०३)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  चतुर्थ स्कन्ध – आठवाँ अध्याय..(पोस्ट०३) ध्रुवका वन-गमन मैत्रेय उवाच - मातुः सपत्न्याःा स दुर...