गुरुवार, 17 जून 2021

भिक्षु गीता (पोस्ट०१)


 

|| श्रीहरि: ||

 

भिक्षु गीता  (पोस्ट०१)

 

द्विज उवाच

 

नायं जनो मे सुखदुःखहेतु-

र्न देवतात्मा ग्रहकर्मकालाः

मनः परं कारणमामनन्ति

संसारचक्रं परिवर्तयेद्यत्   ४३

मनो गुणान्वै सृजते बलीय-

स्ततश्च कर्माणि विलक्षणानि

शुक्लानि कृष्णान्यथ लोहितानि

तेभ्यः सवर्णाः सृतयो भवन्ति   ४४

अनीह आत्मा मनसा समीहता

हिरण्मयो मत्सख उद्विचष्टे

मनः स्वलिङ्गं परिगृह्य कामान्-

जुषन्निबद्धो गुणसङ्गतोऽसौ   ४५

दानं स्वधर्मो नियमो यमश्च

श्रुतं च कर्माणि च सद्व्रतानि

सर्वे मनोनिग्रहलक्षणान्ताः

परो हि योगो मनसः समाधिः ४६

समाहितं यस्य मनः प्रशान्तं

दानादिभिः किं वद तस्य कृत्यम्

असंयतं यस्य मनो विनश्यद्-

दानादिभिश्चेदपरं किमेभिः ४७

 

(ब्राह्मण कहता है-) मेरे सुख अथवा दु:ख  का कारण न ये मनुष्य हैं, न देवता हैं, न शरीर है और न ग्रह, कर्म एवं काल आदि ही हैं। श्रुतियाँ और महात्माजन मन को ही इसका परम कारण बताते हैं और मन ही इस सारे संसारचक्र को चला रहा है ॥ ४३ ॥ सचमुच यह मन बहुत बलवान् है। इसी ने विषयों, उनके कारण गुणों और उनसे सम्बन्ध रखनेवाली वृत्तियों की सृष्टि की है। उन वृत्तियों के अनुसार ही सात्त्विक, राजस और तामस—अनेकों प्रकार के कर्म होते हैं और कर्मोंके अनुसार ही जीवकी विविध गतियाँ होती हैं ॥ ४४ ॥ मन ही समस्त चेष्टाएँ करता है। उसके साथ रहनेपर भी आत्मा निष्क्रिय ही है। वह ज्ञानशक्तिप्रधान है, मुझ जीवका सनातन सखा है और अपने अलुप्त ज्ञान से सब कुछ देखता रहता है। मनके द्वारा ही उसकी अभिव्यक्ति होती है। जब वह मन को स्वीकार करके उसके द्वारा विषयों का भोक्ता बन बैठता है, तब कर्मोंके साथ आसक्ति होने के कारण वह उनसे बँध जाता है ॥ ४५ ॥ दान, अपने धर्म का पालन, नियम, यम, वेदाध्ययन, सत्कर्म और ब्रह्मचर्यादि श्रेष्ठ व्रत—इन सबका अन्तिम फल यही है कि मन एकाग्र हो जाय, भगवान्‌ में लग जाय। मन का समाहित हो जाना ही परम योग है ॥ ४६ ॥ जिसका मन शान्त और समाहित है, उसे दान आदि समस्त सत्कर्मोंका फल प्राप्त हो चुका है। अब उनसे कुछ लेना बाकी नहीं है। और जिसका मन चञ्चल है अथवा आलस्यसे अभिभूत हो रहा है, उसको इन दानादि शुभकर्मों से अबतक कोई लाभ नहीं हुआ ॥ ४७ ॥

 

शेष आगामी पोस्ट में --

गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1536 (स्कन्ध 11/अध्याय 23) से

 



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