सोमवार, 13 मार्च 2023

“ नाहं वसामि वैकुंठे ........."

“ नाहं वसामि वैकुंठे योगिनां हृदये न च | 
मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद ||”  

.................... ( पद्मपुराण उ. १४/२३)

                                                               (भगवान् कहते हैं कि हे नारद !  मैं न तो  वैकुंठ में ही रहता हूँ और न योगियों के हृदय में ही रहता हूँ । मैं तो वहीं रहता हूँ, जहाँ प्रेमाकुल होकर मेरे भक्त मेरे नाम का कीर्तन किया करते हैं  ।  मैं सर्वदा लोगों के अन्तःकरण में विद्यमान रहता हूं)  | 

श्रद्धापूर्वक की गई प्रार्थना ही स्वीकार होती है । अतः भावना जितनी सच्ची, गहरी और पूर्ण होगी, उतना ही उसका सत्परिणाम होगा |


8 टिप्‍पणियां:

  1. जय जय श्री गोविंद

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  2. नारायण !! नारायण !! नारायण !!नारायण !!🌹🌼🌹🌼🌹
    🍂🌸🥀जय श्री हरि: !!🙏🙏🙏

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  3. 💥🚩🪴 जय श्री राम 🪴🚩💥

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  4. श्री सीताराम 🙏🌹🙏

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  5. श्री राधेकृष्ण🙏🌹🙏

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