रविवार, 5 मार्च 2023

☼ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नम: ☼


जैसे कठपुतली, नचानेवाले की इच्छा के अनुसार ही नाचती है, वैसे ही यह सारा संसार ईश्वर के अधीन है ॥ 

“ईशस्य हि वशे लोको योषा दारुमयी यथा ॥“

...........(श्रीमद्भागवत १.६.७)


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - बीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०३)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - बीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०३) ब्रह्माजीकी रची हुई अनेक प्रकारकी सृष्टिका वर्णन मैत...