शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण प्रथम स्कन्ध बारहवां अध्याय..(पोस्ट..०४)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ 

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
प्रथम स्कन्ध--बारहवाँ अध्याय..(पोस्ट ०४)

परीक्षित् का जन्म

युधिष्ठिर उवाच ।

अप्येष वंश्यान् राजर्षीन् पुण्यश्लोकान् महात्मनः ।
अनुवर्तिता स्विद्यशसा साधुवादेन सत्तमाः ॥ १८ ॥

ब्राह्मणा ऊचुः ।

पार्थ प्रजाविता साक्षात् इक्ष्वाकुरिव मानवः ।
ब्रह्मण्यः सत्यसन्धश्च रामो दाशरथिर्यथा ॥ १९ ॥
एष दाता शरण्यश्च यथा ह्यौशीनरः शिबिः ।
यशो वितनिता स्वानां दौष्यन्तिरिव यज्वनाम् ॥ २० ॥
धन्विनामग्रणीरेष तुल्यश्चार्जुनयोर्द्वयोः ।
हुताश इव दुर्धर्षः समुद्र इव दुस्तरः ॥ २१ ॥
मृगेन्द्र इव विक्रान्तो निषेव्यो हिमवानिव ।
तितिक्षुर्वसुधेवासौ सहिष्णुः पितराविव ॥ २२ ॥
पितामहसमः साम्ये प्रसादे गिरिशोपमः ।
आश्रयः सर्वभूतानां यथा देवो रमाश्रयः ॥ २३ ॥
सर्वसद्‍गुणमाहात्म्ये एष कृष्णमनुव्रतः ।
रन्तिदेव इवोदारो ययातिरिव धार्मिकः ॥ २४ ॥

युधिष्ठिरने कहा—महात्माओ ! यह बालक क्या अपने उज्ज्वल यशसे हमारे वंशके पवित्रकीर्ति महात्मा राजर्षियोंका अनुसरण करेगा ? ॥ १८ ॥
ब्राह्मणोंने कहा—धर्मराज ! यह मनुपुत्र इक्ष्वाकु के समान अपनी प्रजाका पालन करेगा तथा दशरथनन्दन भगवान्‌ श्रीरामके समान ब्राह्मणभक्त और सत्यप्रतिज्ञ होगा ॥ १९ ॥ यह उशीनर- नरेश शिबिके समान दाता और शरणागतवत्सल होगा तथा याज्ञिकोंमें दुष्यन्तके पुत्र भरतके समान अपने वंशका यश फैलायेगा ॥ २० ॥ धनुर्धरोंमें यह सहस्रबाहु अर्जुन और अपने दादा पार्थके समान अग्रगण्य होगा। यह अग्निके समान दुर्धर्ष और समुद्रके समान दुस्तर होगा ॥ २१ ॥ यह सिंहके समान पराक्रमी, हिमाचलकी तरह आश्रय लेनेयोग्य, पृथ्वीके सदृश तितिक्षु और माता- पिताके समान सहनशील होगा ॥ २२ ॥ इसमें पितामह ब्रह्माके समान समता रहेगी, भगवान्‌ शङ्करकी तरह यह कृपालु होगा और सम्पूर्ण प्राणियोंको आश्रय देनेमें यह लक्ष्मीपति भगवान्‌ विष्णुके समान होगा ॥ २३ ॥ यह समस्त सद्गुणोंकी महिमा धारण करनेमें श्रीकृष्णका अनुयायी होगा, रन्तिदेवके समान उदार होगा और ययातिके समान धार्मिक  होगा ॥ २४ ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्ट संस्करण)  पुस्तक कोड 1535 से


2 टिप्‍पणियां:

  1. 🌺💖🌹🥀जय श्री हरि:🙏🙏
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    अति विलक्षण अद्भुत चरित्र
    नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण

    जवाब देंहटाएं

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-पांचवां अध्याय..(पोस्ट०९)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - पाँचवा अध्याय..(पोस्ट०९) विदुरजीका प्रश्न  और मैत्रेयजीका सृष्टिक्रमवर्णन देव...