सोमवार, 21 अक्तूबर 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-दूसरा अध्याय..(पोस्ट०५)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
तृतीय स्कन्ध - दूसरा अध्याय..(पोस्ट०५)

उद्धवजी द्वारा भगवान्‌ की बाललीलाओं का वर्णन

को वा अमुष्याङ्‌घ्रिसरोजरेणुं
     विस्मर्तुमीशीत पुमान् विजिघ्रन् ।
यो विस्फुरद्भ्रू विटपेन भूमेः
     भारं कृतान्तेन तिरश्चकार ॥ १८ ॥
दृष्टा भवद्‌भिः ननु राजसूये
     चैद्यस्य कृष्णं द्विषतोऽपि सिद्धिः ।
यां योगिनः संस्पृहयन्ति सम्यग्
     योगेन कस्तद्विरहं सहेत ॥ १९ ॥
तथैव चान्ये नरलोकवीरा
     य आहवे कृष्णमुखारविन्दम् ।
नेत्रैः पिबन्तो नयनाभिरामं
     पार्थास्त्रपूतः पदमापुरस्य ॥ २० ॥

जिन्होंने कालरूप अपने भुकुटिविलास से ही पृथ्वी का सारा भार उतार दिया था, उन श्रीकृष्ण के पाद-पद्म-पराग का सेवन करनेवाला ऐसा कौन पुरुष है, जो उसे भूल सके ॥ १८ ॥ आप लोगों ने राजसूय यज्ञ में प्रत्यक्ष ही देखा था कि श्रीकृष्ण से द्वेष करनेवाले शिशुपाल को वह सिद्धि मिल गयी, जिसकी बड़े-बड़े योगी भली-भाँति योग-साधना करके स्पृहा करते रहते हैं। उनका विरह भला कौन सह सकता है ॥ १९ ॥ शिशुपाल के ही समान महाभारत- युद्धमें जिन दूसरे योद्धाओं ने अपनी आँखों से भगवान्‌ श्रीकृष्ण के नयनाभिराम मुख-कमलका मकरन्द पान करते हुए,अर्जुन के बाणोंसे बिंधकर प्राणत्याग किया, वे पवित्र होकर सब-के-सब भगवान्‌ के परमधाम को प्राप्त हो गये ॥ २० ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे
    हे नाथ नारायण वासुदेव
    🌺💖🌹🥀जय श्री राधे गोविंद 🙏🙏

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