मंगलवार, 12 नवंबर 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-चौथा अध्याय..(पोस्ट०९)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
तृतीय स्कन्ध - चौथा अध्याय..(पोस्ट०९)

उद्धवजीसे विदा होकर विदुरजीका मैत्रेय ऋषिके पास जाना

श्रीशुक उवाच -

ब्रह्मशापापदेशेन कालेनामोघवाञ्छितः ।
संहृत्य स्वकुलं स्फीतं त्यक्ष्यन् देहमचिन्तयत् ॥ २९ ॥
अस्मात् लोकादुपरते मयि ज्ञानं मदाश्रयम् ।
अर्हत्युद्धव एवाद्धा सम्प्रत्यात्मवतां वरः ॥ ३० ॥
नोद्धवोऽण्वपि मन्न्यूनो यद्गुमणैर्नार्दितः प्रभुः ।
अतो मद्वयुनं लोकं ग्राहयन् इह तिष्ठतु ॥ ३१ ॥
एवं त्रिलोकगुरुणा सन्दिष्टः शब्दयोनिना ।
बदर्याश्रममासाद्य हरिमीजे समाधिना ॥ ३२ ॥

श्रीशुकदेवजीने कहा—जिनकी इच्छा कभी व्यर्थ नहीं होती, उन श्रीहरिने ब्राह्मणोंके शापरूप कालके बहाने अपने कुलका संहार कर अपने श्रीविग्रहको त्यागते समय विचार किया ॥ २९ ॥ ‘अब इस लोकसे मेरे चले जानेपर संयमीशिरोमणि उद्धव ही मेरे ज्ञान को ग्रहण करनेके सच्चे अधिकारी हैं ॥ ३० ॥ उद्धव मुझ से अणुमात्र भी कम नहीं हैं, क्योंकि वे आत्मजयी हैं, विषयों से कभी विचलित नहीं हुए। अत: लोगों को मेरे ज्ञान की शिक्षा देते हुए वे यहीं रहें’ ॥ ३१ ॥ वेदों के मूल कारण जगद्गुरु श्रीकृष्ण के इस प्रकार आज्ञा देनेपर उद्धवजी बदरिकाश्रम में जाकर समाधि- योग द्वारा श्रीहरि की आराधना करने लगे ॥ ३२ ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


2 टिप्‍पणियां:

  1. 🥀💖🌹🌹जय श्रीहरि:🙏🙏
    ॐ श्रीपरमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे !!
    हे नाथ नारायण वासुदेव !!
    गोविंद !! दामोदर !! माधवेति !!
    नारायण नारायण नारायण नारायण

    जवाब देंहटाएं
  2. ओउ्म श्री परमात्मने नमः

    जवाब देंहटाएं

श्रीमद्भागवतमहापुराण चतुर्थ स्कन्ध - आठवां अध्याय..(पोस्ट०१)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  चतुर्थ स्कन्ध – आठवाँ अध्याय..(पोस्ट०१) ध्रुवका वन-गमन मैत्रेय उवाच - सनकाद्या नारदश्च ऋभुर्...