शनिवार, 30 नवंबर 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-छठा अध्याय..(पोस्ट०५)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
तृतीय स्कन्ध - छठा अध्याय..(पोस्ट०५)

विराट् शरीर की उत्पत्ति

हस्तावस्य विनिर्भिन्नौ इन्द्रः स्वर्पतिराविशत् ।
वार्तयांशेन पुरुषो यया वृत्तिं प्रपद्यते ॥ २१ ॥
पादौ अवस्य विनिर्भिन्नौ लोकेशो विष्णुराविशत् ।
गत्या स्वांशेन पुरुषो यया प्राप्यं प्रपद्यते ॥ २२ ॥
बुद्धिं चास्य विनिर्भिन्नां वागीशो धिष्ण्यमाविशत् ।
बोधेनांशेन बोद्धव्य प्रतिपत्तिर्यतो भवेत् ॥ २३ ॥
हृदयं चास्य निर्भिन्नं चन्द्रमा धिष्ण्यमाविशत् ।
मनसांशेन येनासौ विक्रियां प्रतिपद्यते ॥ २४ ॥
आत्मानं चास्य निर्भिन्नं अभिमानोऽविशत्पदम् ।
कर्मणांशेन येनासौ कर्तव्यं प्रतिपद्यते ॥ २५ ॥
सत्त्वं चास्य विनिर्भिन्नं महान् धिष्ण्यमुपाविशत् ।
चित्तेनांशेन येनासौ विज्ञानं प्रतिपद्यते ॥ २६ ॥

इसके पश्चात् उसके हाथ प्रकट हुए; उनमें अपनी ग्रहण-त्यागरूपा शक्तिके सहित देवराज इन्द्रने प्रवेश किया, इस शक्तिसे जीव अपनी जीविका प्राप्त करता है ॥ २१ ॥ जब इसके चरण उत्पन्न हुए, तब उनमें अपनी शक्ति गति के सहित लोकेश्वर विष्णुने प्रवेश किया—इस गति-शक्तिद्वारा जीव अपने गन्तव्य स्थानपर पहुँचता है ॥ २२ ॥ फिर इसके बुद्धि उत्पन्न हुई; अपने इस स्थानमें अपने अंश बुद्धिशक्तिके साथ वाक्पति ब्रह्माने प्रवेश किया, इस बुद्धिशक्तिसे जीव ज्ञातव्य विषयोंको जान सकता है ॥ २३ ॥ फिर इसमें हृदय प्रकट हुआ; उसमें अपने अंश मनके सहित चन्द्रमा स्थित हुआ। इस मन:शक्तिके द्वारा जीव सङ्कल्प-विकल्पादिरूप विकारोंको प्राप्त होता है ॥ २४ ॥  तत्पश्चात् विराट् पुरुषमें अहंकार उत्पन्न हुआ; इस अपने आश्रयमें क्रियाशक्तिसहित अभिमान (रुद्र) ने प्रवेश किया। इससे जीव अपने कर्तव्यको स्वीकार करता है ॥ २५ ॥ अब इसमें चित्त प्रकट हुआ। उसमें चित्तशक्तिके सहित महत्तत्त्व (ब्रह्मा) स्थित हुआ; इस चित्तशक्तिसे जीव विज्ञान (चेतना) को उपलब्ध करता है ॥ २६ ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. 🌹💖🥀ॐश्रीपरमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे
    हे नाथ नारायण वासुदेव
    नारायण नारायण नारायण नारायण

    जवाब देंहटाएं

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - बीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०८)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - बीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०८) ब्रह्माजीकी रची हुई अनेक प्रकारकी सृष्टिका वर्णन ऊर्...