रविवार, 29 दिसंबर 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - नवाँ अध्याय..(पोस्ट१०)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
तृतीय स्कन्ध - नवाँ अध्याय..(पोस्ट१०)

ब्रह्माजी द्वारा भगवान्‌ की स्तुति

ब्रह्मोवाच –

एष प्रपन्नवरदो रमयात्मशक्त्या ।
    यद्यत् करिष्यति गृहीतगुणावतारः ।
तस्मिन्स्वविक्रममिदं सृजतोऽपि चेतो ।
    युञ्जीत कर्मशमलं च यथा विजह्याम् ॥ २३ ॥
नाभिह्रदादिह सतोऽम्भसि यस्य पुंसो ।
    विज्ञानशक्तिरहमासमनन्तशक्तेः ।
रूपं विचित्रमिदमस्य विवृण्वतो मे ।
    मा रीरिषीष्ट निगमस्य गिरां विसर्गः ॥ २४ ॥
सोऽसौ अदभ्रकरुणो भगवान् विवृद्ध ।
    प्रेमस्मितेन नयनाम्बुरुहं विजृम्भन् ।
उत्थाय विश्वविजयाय च नो विषादं ।
    माध्व्या गिरापनयतात्पुरुषः पुराणः ॥ २५ ॥

आप भक्तवाञ्छाकल्पतरु हैं। अपनी शक्ति लक्ष्मीजी के सहित अनेकों गुणावतार लेकर आप जो-जो अद्भुत कर्म करेंगे, मेरा यह जगत् की  रचना करने का उद्यम भी उन्हीं में से एक है। अत: इसे रचते समय आप मेरे चित्त को प्रेरित करें—शक्ति प्रदान करें, जिससे मैं सृष्टिरचनाविषयक अभिमानरूप मलसे दूर रह सकूँ ॥ २३ ॥ प्रभो ! इस प्रलयकालीन जलमें शयन करते हुए आप अनन्तशक्ति परमपुरुष के नाभि-कमल से मेरा प्रादुर्भाव हुआ है और मैं हूँ भी आपकी ही विज्ञानशक्ति; अत: इस जगत् के विचित्र रूप का विस्तार करते समय आपकी कृपा से मेरी वेदरूप वाणी का उच्चारण लुप्त न हो ॥ २४ ॥ आप अपार करुणामय पुराणपुरुष हैं। आप परम प्रेममयी मुसकान के सहित अपने नेत्रकमल खोलिये और शेष-शय्या से उठकर विश्व के उद्भव के लिये अपनी सुमधुर वाणी से मेरा विषाद दूर कीजिये ॥ २५ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. 🌹💖🥀💐जय श्रीहरि:🙏🙏
    ॐ श्रीपरमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे
    हे नाथ नारायण वासुदेव !!
    हे सर्वात्म सर्वत्र व्याप्त
    अनंत कोटि ब्रह्मांड के स्वामी
    आपका हर क्षण सहस्त्रों सहस्त्रों कोटिश: चरण वंदन 🙏 🙏

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