गुरुवार, 1 मई 2025

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - बाईसवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
तृतीय स्कन्ध - बाईसवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)

देवहूतिके साथ कर्दम प्रजापतिका विवाह

मैत्रेय उवाच -
स उग्रधन्वन् नियदेवाबभाषे
     आसीच्च तूष्णीं अरविन्दनाभम् ।
धियोपगृह्णन् स्मितशोभितेन
     मुखेन चेतो लुलुभे देवहूत्याः ॥ २१ ॥
सोऽनु ज्ञात्वा व्यवसितं महिष्या दुहितुः स्फुटम् ।
तस्मै गुणगणाढ्याय ददौ तुल्यां प्रहर्षितः ॥ २२ ॥
शतरूपा महाराज्ञी पारिबर्हान् महाधनान् ।
दम्पत्योः पर्यदात् प्रीत्या भूषावासः परिच्छदान् ॥ २३ ॥
प्रत्तां दुहितरं सम्राट् सदृक्षाय गतव्यथः ।
उपगुह्य च बाहुभ्यां औत्कण्ठ्योन्मथिताशयः ॥ २४ ॥
अशक्नुवन् तद्विरहं मुञ्चन् बाष्पकलां मुहुः ।
आसिञ्चद् अम्ब वत्सेति नेत्रोदैर्दुहितुः शिखाः ॥ २५ ॥
आमन्त्र्य तं मुनिवं अमनुज्ञातः सहानुगः ।
प्रतस्थे रथमारुह्य सभार्यः स्वपुरं नृपः ॥ २६ ॥
उभयोः ऋषिकुल्यायाः सरस्वत्याः सुरोधसोः ।
ऋषीणां उपशान्तानां पश्यन् आश्रमसम्पदः ॥ २७ ॥

मैत्रेयजी कहते हैं—प्रचण्ड धनुर्धर विदुर ! कर्दमजी केवल इतना ही कह सके, फिर वे हृदयमें भगवान्‌ कमलनाभका ध्यान करते हुए मौन हो गये। उस समय उनके मन्द हास्ययुक्त मुखकमलको देखकर देवहूतिका चित्त लुभा गया ॥ २१ ॥ मनुजीने देखा कि इस सम्बन्धमें महारानी शतरूपा और राजकुमारीकी स्पष्ट अनुमति है, अत: उन्होंने अनेक गुणोंसे सम्पन्न कर्दमजी को उन्हीं के समान गुणवती कन्या का प्रसन्नता-पूर्वक दान कर दिया ॥ २२ ॥ महारानी शतरूपा ने भी बेटी और दामाद को बड़े प्रेमपूर्वक बहुत-से बहुमूल्य वस्त्र, आभूषण और गृहस्थोचित पात्रादि दहेजमें दिये ॥ २३ ॥ इस प्रकार सुयोग्य वरको अपनी कन्या देकर महाराज मनु निश्चिन्त हो गये। चलती बार उसका वियोग न सह सकनेके कारण उन्होंने उत्कण्ठावश विह्वलचित्त होकर उसे अपनी छातीसे चिपटा लिया और ‘बेटी ! बेटी !’ कहकर रोने लगे। उनकी आँखोंसे आँसुओंकी झड़ी लग गयी और उनसे उन्होंने देवहूतिके सिरके सारे बाल भिगो दिये ॥ २४-२५ ॥ फिर वे मुनिवर कर्दमसे पूछकर, उनकी आज्ञा ले रानीके सहित रथपर सवार हुए और अपने सेवकोंसहित ऋषिकुलसेवित सरस्वती नदीके दोनों तीरोंपर मुनियोंके आश्रमोंकी शोभा देखते हुए अपनी राजधानीमें चले आये ॥ २६-२७ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. 🌺🌿💖🌹जय श्रीहरि:🙏🙏
    ॐ श्रीपरमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण हरि: !! हरि: !!

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