सोमवार, 16 दिसंबर 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण नवम स्कन्ध –दसवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)


॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
नवम स्कन्ध दसवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)

भगवान्‌ श्रीराम की लीलाओं का वर्णन

श्रीशुक उवाच ।
खट्वांगाद् दीर्घबाहुश्च रघुस्तस्मात् पृथुश्रवाः ।
अजस्ततो महाराजः तस्मात् दशरथोऽभवत् ॥ १ ॥
तस्यापि भगवान् एष साक्षाद् ब्रह्ममयो हरिः ।
अंशांशेन चतुर्धागात् पुत्रत्वं प्रार्थितः सुरैः ।
रामलक्ष्मणभरत शत्रुघ्ना इति संज्ञया ॥ २ ॥
तस्यानुचरितं राजन् ऋषिभिः तत्त्वदर्शिभिः ।
श्रुतं हि वर्णितं भूरि त्वया सीतापतेर्मुहुः ॥ ३ ॥
गुर्वर्थे त्यक्तराज्यो व्यचरदनुवनं
पद्मपद्‍भ्यां प्रियायाः ।
पाणिस्पर्शाक्षमाभ्यां मृजितपथरुजो
यो हरीन्द्रानुजाभ्याम् ।
वैरूप्यात् शूर्पणख्याः प्रियविरहरुषा-
ऽऽरोपितभ्रूविजृम्भ-
त्रस्ताब्धिर्बद्धसेतुः खलदवदहनः
कोसलेन्द्रोऽवतान्नः ॥ ४ ॥

श्रीशुकदेवजी कहते हैंपरीक्षित्‌ ! खट्वाङ्ग के पुत्र दीर्घबाहु और दीर्घबाहु के परम यशस्वी पुत्र रघु हुए। रघु के अज और अज के पुत्र महाराज दशरथ हुए ॥ १ ॥ देवताओं की प्रार्थना से साक्षात् परब्रह्म परमात्मा भगवान्‌ श्रीहरि ही अपने अंशांश से चार रूप धारण करके राजा दशरथ के पुत्र हुए। उनके नाम थेराम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न ॥ २ ॥ परीक्षित्‌ ! सीतापति भगवान्‌ श्रीरामका चरित्र तो तत्त्वदर्शी ऋषियोंने बहुत कुछ वर्णन किया है और तुमने अनेक बार उसे सुना भी है ॥ ३ ॥
भगवान्‌ श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथके सत्यकी रक्षाके लिये राजपाट छोड़ दिया और वे वन-वनमें फिरते रहे। उनके चरणकमल इतने सुकुमार थे कि परम सुकुमारी श्रीजानकीजीके करकमलोंका स्पर्श भी उनसे सहन नहीं होता था। वे ही चरण जब वनमें चलते-चलते थक जाते, तब हनूमान् और लक्ष्मण उन्हें दबा-दबाकर उनकी थकावट मिटाते। शूर्पणखाको नाक-कान काटकर विरूप कर देनेके कारण उन्हें अपनी प्रियतमा श्रीजानकीजीका वियोग भी सहना पड़ा। इस वियोगके कारण क्रोधवश उनकी भौंहें तन गयीं, जिन्हें देखकर समुद्रतक भयभीत हो गया। इसके बाद उन्होंने समुद्रपर पुल बाँधा और लङ्कामें जाकर दुष्ट राक्षसोंके जंगलको दावाग्नि के समान दग्ध कर दिया। वे कोसलनरेश हमारी रक्षा करें ॥ ४ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से




6 टिप्‍पणियां:

  1. 🌹🌹🌹🕉️कौशलपति भगवान श्री राम की जय 🙏🙏🙏

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  2. जय सियाराम जी,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌹🌺🙏

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  3. सियावर रामचंद्र भगवान की जय

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  4. 🌸🍂🌷जय श्री हरि: 🙏🙏🙏
    श्री राम जय राम जय जय राम
    जय श्री राम जानकी वल्लभ सीता राम

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