रविवार, 12 दिसंबर 2021

श्रीहरि




|| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||

यदि आपको परम गति की इच्छा है तो अपने मुखसे ही श्रीमद्भागवत के आधे अथवा चौथाई श्लोकका भी नित्य नियमपूर्वक पाठ कीजिये ॥ ॐकार, गायत्री, पुरुषसूक्त, तीनों वेद, श्रीमद्भागवत, ‘ॐनमो भगवते वासुदेवाय’—यह द्वादशाक्षर मन्त्र, बारह मूर्तियोंवाले सूर्यभगवान्‌, प्रयाग, संवत्सररूप काल, ब्राह्मण, अग्निहोत्र, गौ, द्वादशी तिथि, तुलसी, वसन्त ऋतु और भगवान्‌ पुरुषोत्तम—इन सबमें बुद्धिमान् लोग वस्तुत: कोई अन्तर नहीं मानते ॥ जो पुरुष अहर्निश अर्थसहित श्रीमद्भागवत-शास्त्रका पाठ करता है, उसके करोड़ों जन्मोंका पाप नष्ट हो जाता है—इसमें तनिक भी संदेह नहीं है ॥ जो पुरुष नित्यप्रति भागवतका आधा या चौथाई श्लोक भी पढ़ता है, उसे राजसूय और अश्वमेधयज्ञों का फल मिलता है ॥ नित्य भागवत का पाठ करना, भगवान्‌ का चिन्तन करना, तुलसीको सींचना और गौकी सेवा करना—ये चारों समान हैं ॥ जो पुरुष अन्तसमय में श्रीमद्भागवत का वाक्य सुन लेता है, उसपर प्रसन्न होकर भगवान्‌ उसे वैकुण्ठधाम देते हैं ॥ जो पुरुष इसे सोनेके सिंहासनपर रखकर विष्णुभक्त को दान करता है, वह अवश्य ही भगवान्‌ का सायुज्य प्राप्त करता है ॥

हरिः ॐ तत्सत्

(श्रीमद्भागवतमाहात्म्य ३|३३-४१)


1 टिप्पणी:

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-पांचवां अध्याय..(पोस्ट०९)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - पाँचवा अध्याय..(पोस्ट०९) विदुरजीका प्रश्न  और मैत्रेयजीका सृष्टिक्रमवर्णन देव...