शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-आठवां अध्याय..(पोस्ट०२)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
तृतीय स्कन्ध - आठवाँ अध्याय..(पोस्ट०२)

ब्रह्माजीकी उत्पत्ति

स्वर्धुन्युदार्द्रैः स्वजटाकलापैः
     उपस्पृशन्तश्चरणोपधानम् ।
पद्मं यदर्चन्त्यहिराजकन्याः
     सप्रेम नानाबलिभिर्वरार्थाः ॥ ५ ॥
मुहुर्गृणन्तो वचसानुराग
     स्खलत्पदेनास्य कृतानि तज्ज्ञाः ।
किरीटसाहस्रमणिप्रवेक
     प्रद्योतितोद्दामफणासहस्रम् ॥ ६ ॥
प्रोक्तं किलैतद्भतगवत्तमेन
     निवृत्तिधर्माभिरताय तेन ।
सनत्कुमाराय स चाह पृष्टः
     साङ्ख्यायनायाङ्ग धृतव्रताय ॥ ७ ॥
साङ्ख्यायनः पारमहंस्यमुख्यो
     विवक्षमाणो भगवद्विभूतीः ।
जगाद सोऽस्मद्गुारवेऽन्विताय
     पराशरायाथ बृहस्पतेश्च ॥ ८ ॥
प्रोवाच मह्यं स दयालुरुक्तो
     मुनिः पुलस्त्येन पुराणमाद्यम् ।
सोऽहं तवैतत्कथयामि वत्स
     श्रद्धालवे नित्यमनुव्रताय ॥ ९ ॥

सनत्कुमार आदि ऋषियों ने मन्दाकिनी के जल से भीगे अपने जटासमूह से उनके (आदिदेव भगवान्‌ सङ्कर्षण के) चरणों की चौकी के रूप में स्थित कमल का स्पर्श किया, जिसकी नागराजकुमारियाँ अभिलषित वर की प्राप्ति के लिये प्रेमपूर्वक अनेकों उपहार-सामग्रियों से पूजा करती हैं ॥ ५ ॥
सनत्कुमारादि उनकी लीलाके मर्मज्ञ हैं। उन्होंने बार-बार प्रेम-गद्गद वाणी से उनकी लीला का गान किया। उस समय शेषभगवान्‌ के उठे हुए सहस्रों फण किरीटों की सहस्र-सहस्र श्रेष्ठ मणियों की छिटकती हुई रश्मियों से जगमगा रहे थे ॥ ६ ॥ भगवान्‌ सङ्कर्षण ने निवृत्तिपरायण सनत्कुमार जी को यह भागवत सुनाया था—ऐसा प्रसिद्ध है। सनत्कुमार जी ने फिर इसे परम व्रतशील सांख्यायन मुनि को, उनके प्रश्न करनेपर सुनाया ॥ ७ ॥ परमहंसों में प्रधान श्रीसांख्यायन जी को जब भगवान्‌ की विभूतियों का वर्णन करने की इच्छा हुई, तब उन्होंने इसे अपने अनुगत शिष्य, हमारे गुरु श्रीपराशरजी को और बृहस्पतिजी को सुनाया ॥ ८ ॥ इसके पश्चात् परम दयालु पराशरजी ने पुलस्त्य मुनि के कहने से वह आदिपुराण मुझसे कहा। वत्स ! श्रद्धालु और सदा अनुगत देखकर अब वही पुराण मैं तुम्हें सुनाता हूँ ॥ ९ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. 🌹💖🥀💟ॐश्रीपरमात्मने नमः 🙏🙏 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏 जय श्री हरि:🙏
    श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे
    हे नाथ नारायण वासुदेव !!

    जवाब देंहटाएं

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - बीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०५)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - बीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०५) ब्रह्माजीकी रची हुई अनेक प्रकारकी सृष्टिका वर्णन देव...